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अखिलेश यादव की पार्टी से ‘अपर कास्ट’ बाहर, पिछड़ों-दलितों, मुसलमानों के समीकरण पर राजनीति करेंगे सपा सुप्रीमो?

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सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव

सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित कर दी गई है। पार्टी ने जिन 14 महासचिवों का ऐलान किया है, उसमें एक भी ब्राह्मण या ठाकुर चेहरा नहीं है। वहीं मुस्लिम चेहरों में भी आजम खान के अलावा दूसरे चेहरों को जगह नहीं दी गई है। जबकि OBC को भरपूर जगह मिली है। रवि प्रकाश वर्मा, स्वामी प्रसाद मौर्य, विश्वंभर प्रसाद निषाद, लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, हरेंद्र मलिक, नीरज चौधरी ऐसे नाम हैं जिन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। 

ब्राह्मण और ठाकुर नेताओं को नहीं मिली जगह 

इस घोषणा के बाद बात साफ है कि सपा पिछड़ों-दलितों और मुसलमानों के ही समीकरण पर राजनीति करेगी। अब पार्टी की राजनीति में ब्राह्मण और ठाकुरों के लिए वह जगह नहीं बची है, जो पहले कभी हुआ करती थी। मौर्य, राजभर और कुर्मी जाति के अलावा जाट नेताओं को भी राष्ट्रीय पदों पर सपा ने जगह दी है, जबकि पासी, जाटव जैसी दलित जातियों को भी जगह मिली है। पार्टी ने इस बार बाहर से आए नेताओं को भी भरपूर स्थान दिया है।   

2024 विजय के लिए बनी रणनीति

माना जा रहा है 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को रोकने के लिए पार्टी ने यह रणनीति बनाई है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अखिलेश यादव इस थ्योरी पर चल रहे हैं कि ब्राह्मण और ठाकुरों का ज्यादातर वोट बीजेपी को ही जाएगा इसलिए इसपर ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं है। अगर पार्टी को अच्छा प्रदर्शन करना है तो फोकस ओबीसी, दलित , मुस्लिम और यादव वोटरों पर करने की जरूरत है।  

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