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ट्विन टावर को गिराने के बाद मलबे के ढेर को हटाने का काम फिर से शुरू, 8 नवंबर से काम था बंद Twin Towers demolition removing debris work resumed stopped since November 8

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ट्विन टावर

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण ट्विन टावर के मलबे को हटाने का काम रोक दिया गया था। अब ग्रे- 4 के नियमों के हटने के बाद काम फिर शुरू हो गया है। 100 मजदूर और 9 जेसीबी मशीनें काम पर लग गईं हैं। इसका निपटारा नवंबर तक होना था, लेकिन बीच में काम बंद होने के कारण अब इसमें थोड़ी देरी होगी। 

8 नवंबर से मलबा हटाने का काम बंद था। अब फिर से मजदूरों को वापस बुलाया जा रहा है। ट्विन टावर के मलबे को ग्रीन नेट से ढक दिया गया है, ताकि धूल न उड़े। मशीनों को वापस काम पर लगा दिया गया है। धूल न उड़े इसके लिए स्मॉग गन और वाटर स्प्रिंकल का इस्तेमाल लगातार किया जा रहा है। अलग किए गए मलबे को ट्रक के जरिए निस्तारण प्वांइट तक ले जाया जा रहा है। यहां भी एनजीटी के नियमों का पालन किया जा रहा है।

 नवंबर में प्रदूषण से 12-13 दिन काम बंद रहा

दरअसल, ट्विन टावर के मलबे को हटाने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग को तीन महीने का समय दिया गया है। इसमें 15 दिन का समय अथॉरिटी से एनओसी न मिल पाने के कारण यूं ही बर्बाद हो गया था। अब नवंबर में प्रदूषण के चलते 12 से 13 दिन काम बंद रहा। इससे यहां से मलबा जल्द साफ होने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है। अब तक इस साइट से 25 ट्रक यानी लगभग 510 मीट्रिक टन लोहे का स्क्रैप हटाया जा चुका है और 5340 मीट्रिक टन कॉन्क्रीट और मलबा 267 ट्रकों से हटाया गया है।

40 मंजिला इमारत को गिराने में 9-10 सेकेंड लगे

गौरतलब है कि नोएडा के सेक्टर-93ए में बना सुपरटेक ट्विन टावर को अगस्त में ध्वस्त कर दिया गया था। 40 मंजिला इमारत को गिराने में 9-10 सेकेंड लगे।  ट्विन टावर को गिराने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ी गई थी। सुपरटेक बिल्डर की तरफ से नामी वकील इस केस को लड़े, लेकिन इसे ध्वस्त होने से नहीं बचा सका। इसकी मुख्य वजह गैर-कानूनी तरीके से बनाई गई यह बिल्डिंग थी।

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