धुंआ-धुंआ हुआ एशिया के सबसे सस्ते बाजारों में शुमार ‘भागीरथ पैलेस मार्केट’, 200 साल से ज्यादा पुराना-Bhagirath palace market chandni chowk fire many shops gutted 200 year old history electronics asia

भागीरथ पैलेस मार्केट में भीषण आग लगी
दिल्ली के चांदनी चौक में थोक बाजार भागीरथ पैलेस में गुरुवार को भीषण आग लगने से 50 से ज्यादा दुकानें जलकर खाक हो गई हैं। पुलिस ने बताया कि आग पर काबू पाने की कोशिशें जारी हैं। आग एक दिन पहले शाम के वक्त लगी थी। हालांकि घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं आई है। दमकल विभाग ने जानकारी दी कि आग लगने की सूचना उन्हें रात 9 बजकर 19 मिनट पर मिली थी। जिसके बाद दमकल की 40 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया। आग लगने के पीछे का कारण बताते हुए अधिकारी ने कहा कि यह एक दुकान में लगी थी और बाद में बाजार की दूसरी दुकानों में भी फैल गई। आग से जिन दुकानों को नुकसान पहुंचा है, वो सभी बिजली के उपकरणों की हैं। उन्होंने कहा कि दुकान से आग लगनी कैसे शुरू हुई, इसके पीछे का कारण अभी पता नहीं चल पाया है। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि घटना के चलते करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
दवा और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए मशहूर
जिस बाजार में आग लगी है, उसे एशिया का सबसे सस्ता बाजार भी कहा जाता है। यहां थोक के भाव में इलेक्ट्रॉनिक सामान और दवाएं मिलती हैं। भागीरथ पैलेस मार्केट में दिवाली की लाइट्स बेहद सस्ते दामों में मिलती हैं। इसे एशिया के सबसे बड़े मार्केट में शुमार किया गया है। यहां सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाली लाइट्स काफी कम दाम में मिल जाती हैं। बाजार में चीनी और जापानी लाइट्स की काफी खरीदारी होती है। इसके साथ ही भागीरथ पैलेस मार्केट दवा का भी थोक बाजार है। इसे दवाओं के लिए दिल्ली का सबसे बड़ा थोक बाजार भी कहा जाता है। भागीरथ पैलेस मार्केट संकरी गलियों में है। यहां करीब 2000 दुकानें हैं।
कैसे पड़ा भागीरथ पैलेस नाम?
भागीरथ पैलेस के इतिहास की बात करें, तो यह 200 साल से भी ज्यादा पुराना है। वैसे तो इसके नाम में ही महल है लेकिन आज के समय में यह एक बेहद भीड़भाड़ वाला बाजार है। भागीरथ पैलेस असल में एक महल है, जिसे बेगम समरू ने बनवाया था। उन्हें भारत की इकलौती कैथोलिक शासक भी माना जाता है। जो सरधना पर राज करती थीं। उनके पास काफी संपत्ति थी, जिसमें 200 साल से अधिक पुरानी यह इमारत शामिल है। उन्होंने इस इमारत को चांदनी चौक में भारतीय और पश्चिमी स्टाइल के फ्यूजन की तरह बनवाया था। उस वक्त इसे बेगम समरू बाजार के नाम से जाना जाता था। बेहम समरू मुगलों की करीबी थीं। उनके निधन के बाद इमारत कई मालिकों से होते हुए सेठ भागीरथ के हाथों में गई। उन्होंने ही इसका नाम बदलकर भागीरथ पैलेस कर दिया था।
यहां की सबसे बड़ी परेशानी क्या है?
भागीरथ पैलेस में तंग गलियां और भीड़भाड़ सबसे बड़ी परेशानी है। तारों का मकड़जाल हर तरफ फैला हुआ है। इसके अलावा यहां आए दिन शॉर्ट सर्किट से आग लगने की खबर आती रहती हैं। आग लगने पर दमकल की गाड़ियों का मौके पर पहुंचना तक मुश्किल हो जाता है क्योंकि वो तंग गलियों की वजह से यहां आ ही नहीं पातीं। जैसा कि हमें कल और आज देखने को मिला है। इसके कारण व्यापारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान होने की बात कही जा रही है। हाल में ही चांदनी चौक का रिनोवेशन जरूर हुआ है लेकिन इससे केवल प्रमुख सड़क पर ही अतिक्रमण से थोड़ी बहुत निजात मिली है। लेकिन तंग गलियों का हाल पहले जैसा है।