रूस से आने वाले कच्चे तेल के दाम 60 डॉलर प्रति बैरल तय करने की तैयारी, जानें भारत पर क्या होगा असर fix the price of crude oil coming from Russia at 60 dollar per barrel, know the effect on India

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यूरोपीय संघ रूस से आने वाले तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल मूल्य की सीमा तय करने की तैयारी कर रहा है। इस कदम का उद्देश्य वैश्विक बाजारों में रूस से आने वाली तेल की आपूर्ति को जारी रखने के साथ ही यूक्रेन युद्ध के लिए धन जुटाने की राष्ट्रीय व्लादिमीर पुतिन की क्षमता को कमजोर करना है। यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने इस हालिया प्रस्ताव की पुष्टि की है। तेल की कम कीमत तय करने के लिए सोमवार की समयसीमा निर्धारित की गई है। रूस के कच्चे तेल के दाम इस हफ्ते 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चले गए थे। अब यूरोपीय संघ के इसकी सीमा 60 डॉलर प्रति बैरल तय करने पर यह मौजूदा दाम के आसपास ही होगी।
ब्रेंट क्रूड 87 डॉलर प्रति बैरल पर
अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड बृहस्पतिवार को 87 डॉलर प्रति बैरल था। एक अधिकारी ने बताया कि दामों पर लगाम लगाना युद्ध को जल्द खत्म करने में मददगार होगा जबकि यदि दाम की सीमा तय नहीं की जाती है तो यह रूस के लिए फायदे वाली बात होगी। दरसअल रूस के लिए तेल वित्तीय राजस्व का एक बड़ा स्रोत है और निर्यात पाबंदियों समेत कई अन्य प्रतिबंधों के बावजूद रूस की अर्थव्यवस्था इसी के बूते मजबूत बनी हुई है। रूस प्रतिदिन करीब 50 लाख बैरल तेल का निर्यात करता है। तेल के दाम पर लगाम नहीं लगाने का वैश्विक तेल आपूर्ति पर बड़ा बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा, यदि रूस तेल का निर्यात रोक देता है तो दुनियाभर में ऊर्जा की कीमतें आसमान छूने लगेंगी। हालांकि पुतिन पहले कह चुके हैं कि वह दाम की सीमा तय होने पर तेल नहीं बेचेंगे।
भारतीय बाजार पर क्या होगा असर
ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोपीय संघ की ओर से रूस से आने वाले कच्चे तेल के दाम तय करने का भारत पर कोई खास असर नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि जब पूरी दुनिया रूस से तेल खरीदने को तैयार नहीं थी तो भारत रूस से तेल खरीद रहा था। इस बात को रूस भी भली भांति समझ रहा है। रूस भारत को बहुत ही सस्ते दर पर तेल बेच रहा है। वह इस डील को आगे भी जारी रख सकता है। यानी तेल के दाम तय करने का भारतीय बाजार पर कोई फौरी असर नहीं होगा।
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