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60 Percent Of Asian Countries Behind 2020 Biodiversity Targets, Qatar Shows Best Performance – Bio Diversity: 60 फीसदी एशियाई देश 2020 के जैव विविधता लक्ष्यों से पीछे, कतर ने किया कमाल

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

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भारत सहित एशिया के ज्यादातर देश 2020 तक हासिल किए जाने वाले जैव विविधता लक्ष्यों से पीछे हैं। शोध पत्रिका नेचर के दिसंबर अंक में प्रकाशित ऑक्सफोर्ड व कैंब्रिज विवि के शोधकर्ताओं के अध्ययन में दावा किया गया है कि एशिया के 40 देशों में से महज 40 फीसदी ने 2020 तक अपनी कुल भूमि के 17 फीसदी को संरक्षित वन क्षेत्र बनाने का लक्ष्य हासिल किया है। यह अध्ययन कनाडा के मॉन्ट्रियल में होने जा रहे संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (कॉप-15) के संदर्भ में अहम है। सम्मेलन में दुनियाभर की सरकारों के प्रतिनिधि आइची जैव विविधता लक्ष्यों की समीक्षा करेंगे।

असल में वैश्विक जैव विविधता संकट का मुकाबला करने के लिए 2010 के जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीबीडी) में 200 देशों ने 2020 तक अपनी जमीन के न्यूनतम 17% हिस्से को वनों के तौर पर संरक्षित करने का संकल्प लिया था जिसे 2030 तक बढ़ाकर 30% तक पहुंचाना है। सीबीडी में कुल 20 लक्ष्य तय किए गए थ। अध्ययन के मुताबिक सभी महाद्वीपों में एशिया का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। यहां 2020 तक केवल 13.2% भूमि को संरक्षित क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया है जबकि वैश्विक औसत 15.2 फीसदी है। 

अध्ययन के मुताबिक, 2010 से 2020 तक भारत अपनी जमीन का महज 6 फीसदी हिस्सा ही संरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर पाया है। देश में फिलहाल कुल 990 संरक्षित वन क्षेत्र हैं, जिनमें 106 राष्ट्रीय उद्यान, 565 वन्यजीव अभयारण्य, 100 संरक्षण रिजर्व और 219 सामुदायिक रिजर्व शामिल हैं। अध्ययन में शामिल एशिया के 40 देशों में 24 आइची लक्ष्य 11 से बहुत पीछे हैं, जबकि 16 ने लक्ष्य हासिल किया है।

कतर ने किया कमाल
2010 में कतर में संरक्षित वन भूमि महज 2.4% थी, जो 2020 में बढ़कर 29.3% हो गई है। 10 वर्ष के दौरान सबसे ज्यादा निराश बहरीन ने किया। 2010 में यहां संरक्षित वन भूमि 15% से ज्यादा थी, जो 2020 में घटकर 6.6% रह गई है। कुवैत में 1.7%, म्यांमार में 0.5 व थाईलैंड में 0.1% वन क्षेत्र घटा है जबकि, यमन और सीरिया शून्य संरक्षित वन भूमि के साथ सूची में सबसे नीचे हैं। एशियाई देशों में भूटान 50% संरक्षित वन भूमि के साथ शीर्ष पर है। 39.7% के साथ दूसरे स्थान पर कंबोडिया है। जापान, कतर, श्रीलंका व इस्राइल भी जल्द ही 30% का लक्ष्य हासिल कर लेंगे, जबकि कंबोडिया और भूटान पहले ही लक्ष्य पार कर चुके हैं।

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भारत सहित एशिया के ज्यादातर देश 2020 तक हासिल किए जाने वाले जैव विविधता लक्ष्यों से पीछे हैं। शोध पत्रिका नेचर के दिसंबर अंक में प्रकाशित ऑक्सफोर्ड व कैंब्रिज विवि के शोधकर्ताओं के अध्ययन में दावा किया गया है कि एशिया के 40 देशों में से महज 40 फीसदी ने 2020 तक अपनी कुल भूमि के 17 फीसदी को संरक्षित वन क्षेत्र बनाने का लक्ष्य हासिल किया है। यह अध्ययन कनाडा के मॉन्ट्रियल में होने जा रहे संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (कॉप-15) के संदर्भ में अहम है। सम्मेलन में दुनियाभर की सरकारों के प्रतिनिधि आइची जैव विविधता लक्ष्यों की समीक्षा करेंगे।

असल में वैश्विक जैव विविधता संकट का मुकाबला करने के लिए 2010 के जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीबीडी) में 200 देशों ने 2020 तक अपनी जमीन के न्यूनतम 17% हिस्से को वनों के तौर पर संरक्षित करने का संकल्प लिया था जिसे 2030 तक बढ़ाकर 30% तक पहुंचाना है। सीबीडी में कुल 20 लक्ष्य तय किए गए थ। अध्ययन के मुताबिक सभी महाद्वीपों में एशिया का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। यहां 2020 तक केवल 13.2% भूमि को संरक्षित क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया है जबकि वैश्विक औसत 15.2 फीसदी है। 

अध्ययन के मुताबिक, 2010 से 2020 तक भारत अपनी जमीन का महज 6 फीसदी हिस्सा ही संरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर पाया है। देश में फिलहाल कुल 990 संरक्षित वन क्षेत्र हैं, जिनमें 106 राष्ट्रीय उद्यान, 565 वन्यजीव अभयारण्य, 100 संरक्षण रिजर्व और 219 सामुदायिक रिजर्व शामिल हैं। अध्ययन में शामिल एशिया के 40 देशों में 24 आइची लक्ष्य 11 से बहुत पीछे हैं, जबकि 16 ने लक्ष्य हासिल किया है।

कतर ने किया कमाल

2010 में कतर में संरक्षित वन भूमि महज 2.4% थी, जो 2020 में बढ़कर 29.3% हो गई है। 10 वर्ष के दौरान सबसे ज्यादा निराश बहरीन ने किया। 2010 में यहां संरक्षित वन भूमि 15% से ज्यादा थी, जो 2020 में घटकर 6.6% रह गई है। कुवैत में 1.7%, म्यांमार में 0.5 व थाईलैंड में 0.1% वन क्षेत्र घटा है जबकि, यमन और सीरिया शून्य संरक्षित वन भूमि के साथ सूची में सबसे नीचे हैं। एशियाई देशों में भूटान 50% संरक्षित वन भूमि के साथ शीर्ष पर है। 39.7% के साथ दूसरे स्थान पर कंबोडिया है। जापान, कतर, श्रीलंका व इस्राइल भी जल्द ही 30% का लक्ष्य हासिल कर लेंगे, जबकि कंबोडिया और भूटान पहले ही लक्ष्य पार कर चुके हैं।




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