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China News: चीन को लेकर एक कहावत बिल्कुल ठीक बैठती है- ‘चीन अपनों का भी सगा नहीं है’. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि चीन इन दिनों अफ्रीका में रूस का खेल बिगाड़ने में लगा हुआ है. ये वही रूस है, जो चीन का जिगरी दोस्त है. दोनों मुल्कों की दोस्ती के चलते ही चीन ने यूक्रेन युद्ध पर चुप्पी साधी हुई है. अमेरिका के खिलाफ भी रूस और चीन खड़े रहते हैं. लेकिन अफ्रीका में हालात बिल्कुल उलटे हैं.

दरअसल, जहां पैसा आ जाता है वहां चीन दोस्ती को ताक पर रखने से भी नहीं कतराता है. ऐसा ही कुछ अफ्रीका में देखने को मिल रहा है. चीन सरकार के स्वामित्व वाली डिफेंस कंपनी नोरिन्को ने अफ्रीकी देश सेनेगल में अपना ऑफिस खोला है. यहां से अफ्रीकी देशों को अब हथियार बेचा जाएगा. अभी तक अफ्रीकी देश हथियार खरीदने के लिए रूस के पास जाते थे. मगर अब धीरे-धीरे चीन की भी यहां एंट्री हो गई है. 

अफ्रीका में चल रहा हथियार बेचने का काम

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीन अफ्रीका के इस इलाके में अपनी मिलिट्री इंडस्ट्री का विस्तार चाहता है. यहां उसने पहले ही कई सारे प्रोजेक्ट चलाए हुए हैं. माली, नाइजर, बुर्किना फासो और गिनी में चीन के ढेरों प्रोजेक्ट चल रहे हैं. हाल ही में इन देशों में सैन्य तख्तापलट हुआ है. ऐसे में इनकी सरकारों को हथियारों की जरूरत है, जिसे पूरा करने के लिए चीन अपना हथियारों का जखीरा लेकर वहां पहुंच गया है. 

नोरिन्को माली और आइवरी कोस्ट जैसे देशों में भी ऑफिस खोलने वाली है. यहां पर पहले से चीनी मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर हथियार बेच रहे हैं. पश्चिमी अफ्रीकी देशों में मेंटेनेंस, रिपेयर जैसे कामों के लिए सेंटर बनाए जाने का भी प्लान है. नाइजीरिया, अंगोला और दक्षिण अफ्रीका में पहले ही नोरिन्को का ऑफिस है. हाल ही में नोरिन्को ने सेनेगल को बख्तरबंद वाहन और अन्य टोही वाहन की बिक्री की है. 

चीन इन मुल्कों को क्यों हथियार बेच रहा?

स्टैटिस्टा अफ्रीका मुल्कों का रक्षा बजट लगभग 45 अरब डॉलर का है. रूस की इस बाजार पर अच्छी पकड़ रही है. मगर यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस पर प्रतिबंध लग गए हैं और वह हथियारों की बिक्री नहीं कर पा रहा है. इन मुल्कों को फ्रांस की तरफ से भी हथियार बेचे जाते थे. मगर हाल के समय में फ्रांस के ऊपर से पश्चिमी अफ्रीकी देशों का भरोसा उठा है. नाइजर में थोड़े दिन पहले ही फ्रांस समर्थित सरकार का तख्तापलट हुआ है. 

यही वजह है कि चीन ने इस मार्केट को अपने लिए खुला समझा है और वह यहां हथियार बेचने पहुंच गया है. अफ्रीका के अधिकतर देशों में रक्षा बजट बढ़ाने की होड़ लगी हुई है. ऊपर से पश्चिमी अफ्रीकी देशों में तख्तापलट की वजह से हथियारों की मांग बढ़ी है. चीन अब इसे एक मौके पर तौर पर देख रहा है और हथियारों को बेच रहा है. माना जा रहा है कि वह कुछ मुल्कों को उधार पर भी हथियार बेच सकता है, ताकि उन्हें कर्जजाल में फंसाया जा सके. 

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