China Russia Relation Xi Jinping And Vladimipr PUtin Friendship And What They Are Trying To Achieve

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China Russia Friendship: यूक्रेन पर हमले के बाद से बेशक दुनिया के अधिकतर देशों ने रूस से किनारा कर लिया, लेकिन कुछ देशों ने उसके साथ संबंध बनाए रखे. वहीं, कुछ ऐसे भी देश हैं जिन्होंने युद्ध में भी रूस का समर्थन किया. इन्हीं में से एक है चीन. अमेरिका की वजह से चीन और रूस के बीच दोस्ताना संबंध रहे हैं. इस महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक-दूसरे से मुलाकात करेंगे. इससे पहले इसी साल मार्च में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस का दौरा किया था. इस दौरे के दौरान दोनों के बीच जो दोस्ती दिखी, उसने अमेरिका की चिंता बढ़ा दी.

दरअसल, शी जिनपिंग तीन दिनों की रूस यात्रा पर गए थे. दौरे के आखिरी दिन व्लादिमिर पुतिन ने जिनपिंग को विदाई दी थी. शी के विदाई के शब्द कैमरे में साफ-साफ रिकॉर्ड हुए और इन शब्दों की गूंज दुनिया भर में हुई. उन्होंने कहा, “अभी ऐसे बदलाव हैं जो हमने 100 वर्षों में नहीं देखे हैं और हम ही हैं जो मिलकर इन बदलावों को आगे बढ़ा रहे हैं.” पर दोनों देश हमेशा से दोस्त नहीं रहे हैं, कभी दोनों की बच कट्टर दुश्मनी थी. आइए जानते हैं कैसे बदलते गए दोनों के रिश्ते और दोनों किससे लड़ रहे हैं.

पहले रूस और चीन में थी दुश्मनी

जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तभी यह माना जा रहा था कि शी जिनपिंग रूस का विरोध करने की जगह समर्थन करेंगे. अब शी दुनिया को नया आकार देने के लिए एक संयुक्त मिशन की घोषणा करते दिख रहे हैं. पर इन दोनों देशों के बीच जो दोस्ती अभी दिख रही है, वैसी दोस्ती कुछ दशक पहले नहीं थी. शीत युद्ध के दौरान, चीन और सोवियत संघ विचारधारा और क्षेत्र को लेकर आपस में भिड़ गए थे. यहां तक कि 1969 में उनकी सीमा पर खुला संघर्ष भी हुआ था.

इस तरह दुश्मन से दोस्त बने चीन-रूस

शीत युद्ध समाप्त होने के बाद एक खुलापन आने लगा. बर्लिन में कार्नेगी रूस यूरेशिया सेंटर के निदेशक अलेक्जेंडर गैब्यूव कहते हैं कि, “1989 में तियानमेन नरसंहार के बाद चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लग गए थे. तब रूस मिलिट्री टेक्नॉलजी का एकमात्र स्रोत था. यहीं से दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण रिश्ते की शुरुआत हुई.”

रूस ने इस तरह बदली चीन की तस्वीर

चीन की सेना से सेवानिवृत्त वरिष्ठ कर्नल झोउ बो कहते हैं, “1990 के दशक से चीन की सेना को रूसी आयात से काफी फायदा हुआ. रूस की सहायता के बिना शायद चीनी सेना उतनी मजबूत नहीं होती जितनी आज है.” जब व्लादिमीर पुतिन ने क्रेमलिन में सत्ता संभाली, तो उन्होंने 2001 में अपने समकक्ष जियांग जेमिन के साथ ‘अच्छे-पड़ोसी और मैत्रीपूर्ण सहयोग की संधि’ पर हस्ताक्षर करके संबंध बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया. इसके कुछ महीनों बाद ही चीन विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया. यहीं से उस चीन के आर्थिक दिग्गज बनने की उड़ान शुरू हुई, जिसे आज पूरी दुनिया जानती है.

यहां से और पक्के हो गए संबंध

यह फरवरी 2007 की बात है. बवेरिया में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के लिए अलग-अलग देशों के नेता जुटे थे. इसमें व्लादिमीर पुतिन भी शामिल थे. इस सम्मेलन में पुतिन ने जो भाषण दिया, उसे चीन के साथ अच्छे रिश्ते के संदर्भ में महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है. चीनी सरकार अमेरिका को दुश्मन मानती थी. इस सम्मेलन में पुतिन ने जिस तरह नाटो के विस्तार को लेकर अमेरिका के खिलाफ मोर्चा खोला उससे चीन अब रूस के और करीब आ गया. पुतिन ने तब संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभुत्व वाली एकध्रुवीय दुनिया के खिलाफ तीखा हमला किया था. पुतिन ने अमेरिकी शक्ति के लगभग हर पहलू की आलोचना की थी.

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