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Css Promotion: Conditional Promotion To Only 288 Asos In 900, ‘so’ Will Work Without Assistant Desk Pattern – Css Promotion: 900 में केवल 288 एएसओ को ही सशर्त पदोन्नति, बिना सहायक डेस्क पैटर्न पर काम करेंगे ‘एसओ’

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CSS Promotion: केंद्रीय सचिवालय सेवा के कर्मचारी
– फोटो : Amar Ujala (File Photo)

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केंद्र सरकार की ‘रीढ़’ कही जाने वाली केंद्रीय सचिवालय सेवा ‘सीएसएस’ में बड़े स्तर पर सेक्शन अफसर ‘एसओ’ के पद रिक्त हैं। कुल 3640 पदों में से 1624 पद (लगभग 45 फीसदी) खाली हैं। सीएसएस फोरम (केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारियों की एसोसिएशन) अपनी पदोन्नति के लिए सोशल मीडिया पर जोरदार तरीके से आवाज उठा रही है। यहां तक कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अनेक केंद्रीय मंत्री व सांसद, सीएसएस अधिकारियों की पदोन्नति के लिए डीओपीटी से आग्रह कर चुके हैं। इन सबके चलते डीओपीटी ने एक दिसंबर को एडहॉक पदोन्नति देने का आदेश निकाला है।

सीएसएस फोरम ने इसे ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ बताया है, क्योंकि महज 288 एएसओ को तदर्थ पदोन्नति मिलेगी। इसमें से पचास अधिकारी तो रिटायर हो चुके हैं और कुछ ने नौकरी छोड़ दी है। तदर्थ पदोन्नति के आदेश में यह भी लिखा है कि जो नए ‘एसओ’ बनेंगे, वे डेस्क पैटर्न पर काम करेंगे। यानी उन्हें कोई सहायक स्टाफ नहीं मिलेगा।

एडहॉक पदोन्नति में सभी योग्य ‘एएसओ’ शामिल नहीं

सीएसएस फोरम का कहना है, जब विभाग को स्थायी पदोन्नति न देकर, अस्थायी यानी एडहॉक पदोन्नति ही देनी थी, तो उसमें सभी योग्य ‘एएसओ’ को शामिल किया जाता। एडहॉक पदोन्नति की गाइड लाइन में लिखा है कि यह पदोन्नति किसी ग्रेड में कुल वैकेंसी के अगेंस्ट होती है। उसमें कोटा नहीं देखा जाता कि वह पदोन्नति एग्जाम कोटे से है या वरिष्ठता के आधार पर मिल रही है। सभी योग्य लोगों को प्रमोशन देना चाहिए था। फोरम ने डीओपीटी से भी आग्रह किया था कि लगभग 900 एएसओ, ‘एसओ’ बनने के पात्र हैं, उन्हें पदोन्नत किया जाए। अब सरकार ने केवल 288 को तदर्थ पदोन्नति देने की बात कही है। ये सभी अधिकारी आठ साल से एक ही पद पर काम कर रहे हैं। पदोन्नति देने की मांग को लेकर हर सप्ताह करीब 50 हजार ट्वीट हो रहे हैं। हालांकि आरटीआई के जवाब में कुल 1624 पद रिक्त होने की बात सामने आई थी। इनमें से 2013 बैच के लगभग 1100 एएसओ, एसओ बनने का इंतजार कर रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में पद खाली होने के बावजूद अब केवल 288 लोगों को ही पदोन्नति दी जा रही है।

पदोन्नति पाने वाले ‘एसओ’ डेस्क पैटर्न पर करेंगे काम

डीओपीटी द्वारा जिन एएसओ को तदर्थ आधार पर एसओ बनाया जाएगा, वे डेस्क पैटर्न पर काम करेंगे। यानी उन्हें किसी सहायक की मदद नहीं मिलेगी। ‘एसओ’ को ही सारा काम करना होगा। सामान्य तौर पर ‘एसओ’ के पास स्पोर्ट स्टाफ रहता है। इसमें दो-तीन ‘एएसओ’, एलडीसी, यूडीसी व एमटीएस शामिल होते हैं। सीएसएस फोरम के पदाधिकारी बताते हैं कि अगर नीचे सहायक स्टाफ नहीं है तो सरकार को तेज गति से पदोन्नति करनी चाहिए। वजह, जब निचला स्टाफ पदोन्नत होगा तो उसका पद खाली हो जाएगा। ऐसे में नई भर्ती की संभावना बनेगी। बेरोजगार युवाओं को नौकरी में आने का मौका मिलेगा। जब सभी योग्य एएसओ, एसओ बनेंगे तो एएसओ के पद रिक्त हो जाएंगे। वहां नए पद सृजित हो सकेंगे। एसएससी के जरिए उन पदों को भरा जा सकेगा। अब जिन 288 लोगों को तदर्थ पदोन्नति देने का आदेश निकाला है, उसमें करीब 220 वैकेंसी ही बचती हैं। पदोन्नति की राह देखते-देखते अनेक अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। पदोन्नति में देरी होते देख, कई ऐसे अधिकारी जो सीधी भर्ती के द्वारा सेवा में आए थे, उन्होंने नौकरी छोड़ दी। एसओ बनने वाले अधिकारियों के लिए ट्रेनिंग का ‘बी’ लेवल पास होना अनिवार्य है। उनका आठ साल का सेवाकाल होना चाहिए। अगर किसी अधिकारी को विजिलेंस की क्लीयरेंस नहीं मिली है तो उस मामले में सील्ड कवर प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

नौ साल की सेवा के बाद भी नहीं मिली पदोन्नति

2013 बैच के एएसओ को अभी तक पदोन्नति नहीं मिल सकी है। डीओपीटी मंत्री कह देते हैं कि फीडर ग्रेड में कोर्ट केस होने के कारण ‘एसओ’ के पद पर नियमित पदोन्नति नहीं दी जा सकती है। डीओपीटी की गाइडलाइन कहती है कि ऐसे मामले में एडहॉक पदोन्नति दी जा सकती है। पहले भी दी गई हैं। पिछले दिनों विभागीय परीक्षा 2018 का एक नोटिफिकेशन निकला था। डीओपीटी ने इस मामले में कोर्ट केस का सहारा लेकर फीडर ग्रेड में एग्जाम करने का शेड्यूल तैयार कर दिया। जब इस मामले में कोर्ट केस का सहारा लेकर परीक्षा का शेड्यूल जारी हो सकता है, तो उसी आधार पर पदोन्नति भी दी जा सकती है।

कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा कई सांसदों ने पत्र लिखकर कार्मिक मंत्री को जल्द ही इन रिक्त पदों को भरने का अनुरोध किया था। 2013 बैच के सहायक अनुभाग अधिकारी ‘एएसओ’ को एडहॉक पदोन्नति देने का आग्रह करने वालों में केंद्रीय मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह, जल शक्ति एवं जनजातीय कार्य राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडू, लोकसभा सांसद बेल्लाना चन्द्र शेखर, रतन लाल कटारिया, विजय बघेल और सांसद रंजीता कोली शामिल हैं। इन सभी ने डॉ. जितेंद्र सिंह को पत्र लिखकर सीएसएस अधिकारियों की पदोन्नति का मुद्दा उठाया था। अगर इन पदों को अविलंब भरा जाता है, तो निचले स्तर पर पद रिक्त हो जाएंगे। नए उम्मीदवारों को नौकरी में आने का मौका मिलेगा एवं विभिन्न स्तरों पर पदोन्नति की राह भी खुल जाएगी।

केंद्रीय मंत्रालयों में खाली पड़े हैं ‘एसओ’ के इतने पद

रक्षा मंत्रालय में सेक्शन अफसर (अनुभाग अधिकारी) के कुल 232 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 141 पद खाली पड़े हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सेक्शन अफसर के 41 पद हैं, जिनमें से 27 पद रिक्त हैं। एमओएसटी में 51 पद हैं। मौजूदा समय में 40 पद खाली पड़े हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय में सेक्शन अफसर के कुल 296 पद हैं। इनमें से 112 पद खाली पड़े हैं। केमिकल मिनिस्ट्री में सेक्शन अफसर के कुल पद 12 हैं, इनमें से 10 पद खाली हैं। फार्मा में सेक्शन अफसर के कुल 16 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 13 पद रिक्त हैं। शिपिंग मंत्रालय में सेक्शन अफसर के लिए स्वीकृत 37 पदों में से 26 पद खाली पड़े हैं। जल संसाधन मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के 69 पद हैं। इनमें से 20 पद रिक्त हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के 39 पद हैं, जिनमें से 24 पद खाली हैं। इसी तरह श्रम मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के कुल 79 पद स्वीकृत हैं। मौजूदा समय में 35 पद खाली हैं।

इन विभागों में भी हैं अनुभाग अधिकारी के खाली पद

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के 184 पदों में से 46 पद रिक्त हैं। कोयला मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के 24 पद हैं, जिनमें 15 पद रिक्त हैं। दूर संचार मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के लिए स्वीकृत 39 पदों में से 27 पद खाली पड़े हैं। कानून मंत्रालय में सेक्शन अफसर के 31 पदों में से 13 पद रिक्त हैं। डाक विभाग में 49 पद हैं, जिनमें से 9 पद खाली हैं। नीति आयोग में अनुभाग अधिकारी के 28 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 10 पद खाली पड़े हैं। डीएफएस में अनुभाग अधिकारी के कुल 29 पद हैं। इसमें से 13 पद रिक्त हैं। शिक्षा मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के लिए 127 पद स्वीकृत किए गए हैं, इनमें 41 पद खाली पड़े हैं। डीजीएचएस, एमओएचएफडब्लू में अनुभाग अधिकारी के 28 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 20 पद रिक्त हैं। ट्राइबल अफेयर में अनुभाग अधिकारी के लिए 19 पद मंजूर किए गए हैं, जिनमें से आठ पद खाली हैं।

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केंद्र सरकार की ‘रीढ़’ कही जाने वाली केंद्रीय सचिवालय सेवा ‘सीएसएस’ में बड़े स्तर पर सेक्शन अफसर ‘एसओ’ के पद रिक्त हैं। कुल 3640 पदों में से 1624 पद (लगभग 45 फीसदी) खाली हैं। सीएसएस फोरम (केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारियों की एसोसिएशन) अपनी पदोन्नति के लिए सोशल मीडिया पर जोरदार तरीके से आवाज उठा रही है। यहां तक कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अनेक केंद्रीय मंत्री व सांसद, सीएसएस अधिकारियों की पदोन्नति के लिए डीओपीटी से आग्रह कर चुके हैं। इन सबके चलते डीओपीटी ने एक दिसंबर को एडहॉक पदोन्नति देने का आदेश निकाला है।

सीएसएस फोरम ने इसे ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ बताया है, क्योंकि महज 288 एएसओ को तदर्थ पदोन्नति मिलेगी। इसमें से पचास अधिकारी तो रिटायर हो चुके हैं और कुछ ने नौकरी छोड़ दी है। तदर्थ पदोन्नति के आदेश में यह भी लिखा है कि जो नए ‘एसओ’ बनेंगे, वे डेस्क पैटर्न पर काम करेंगे। यानी उन्हें कोई सहायक स्टाफ नहीं मिलेगा।

एडहॉक पदोन्नति में सभी योग्य ‘एएसओ’ शामिल नहीं

सीएसएस फोरम का कहना है, जब विभाग को स्थायी पदोन्नति न देकर, अस्थायी यानी एडहॉक पदोन्नति ही देनी थी, तो उसमें सभी योग्य ‘एएसओ’ को शामिल किया जाता। एडहॉक पदोन्नति की गाइड लाइन में लिखा है कि यह पदोन्नति किसी ग्रेड में कुल वैकेंसी के अगेंस्ट होती है। उसमें कोटा नहीं देखा जाता कि वह पदोन्नति एग्जाम कोटे से है या वरिष्ठता के आधार पर मिल रही है। सभी योग्य लोगों को प्रमोशन देना चाहिए था। फोरम ने डीओपीटी से भी आग्रह किया था कि लगभग 900 एएसओ, ‘एसओ’ बनने के पात्र हैं, उन्हें पदोन्नत किया जाए। अब सरकार ने केवल 288 को तदर्थ पदोन्नति देने की बात कही है। ये सभी अधिकारी आठ साल से एक ही पद पर काम कर रहे हैं। पदोन्नति देने की मांग को लेकर हर सप्ताह करीब 50 हजार ट्वीट हो रहे हैं। हालांकि आरटीआई के जवाब में कुल 1624 पद रिक्त होने की बात सामने आई थी। इनमें से 2013 बैच के लगभग 1100 एएसओ, एसओ बनने का इंतजार कर रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में पद खाली होने के बावजूद अब केवल 288 लोगों को ही पदोन्नति दी जा रही है।

पदोन्नति पाने वाले ‘एसओ’ डेस्क पैटर्न पर करेंगे काम

डीओपीटी द्वारा जिन एएसओ को तदर्थ आधार पर एसओ बनाया जाएगा, वे डेस्क पैटर्न पर काम करेंगे। यानी उन्हें किसी सहायक की मदद नहीं मिलेगी। ‘एसओ’ को ही सारा काम करना होगा। सामान्य तौर पर ‘एसओ’ के पास स्पोर्ट स्टाफ रहता है। इसमें दो-तीन ‘एएसओ’, एलडीसी, यूडीसी व एमटीएस शामिल होते हैं। सीएसएस फोरम के पदाधिकारी बताते हैं कि अगर नीचे सहायक स्टाफ नहीं है तो सरकार को तेज गति से पदोन्नति करनी चाहिए। वजह, जब निचला स्टाफ पदोन्नत होगा तो उसका पद खाली हो जाएगा। ऐसे में नई भर्ती की संभावना बनेगी। बेरोजगार युवाओं को नौकरी में आने का मौका मिलेगा। जब सभी योग्य एएसओ, एसओ बनेंगे तो एएसओ के पद रिक्त हो जाएंगे। वहां नए पद सृजित हो सकेंगे। एसएससी के जरिए उन पदों को भरा जा सकेगा। अब जिन 288 लोगों को तदर्थ पदोन्नति देने का आदेश निकाला है, उसमें करीब 220 वैकेंसी ही बचती हैं। पदोन्नति की राह देखते-देखते अनेक अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। पदोन्नति में देरी होते देख, कई ऐसे अधिकारी जो सीधी भर्ती के द्वारा सेवा में आए थे, उन्होंने नौकरी छोड़ दी। एसओ बनने वाले अधिकारियों के लिए ट्रेनिंग का ‘बी’ लेवल पास होना अनिवार्य है। उनका आठ साल का सेवाकाल होना चाहिए। अगर किसी अधिकारी को विजिलेंस की क्लीयरेंस नहीं मिली है तो उस मामले में सील्ड कवर प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

नौ साल की सेवा के बाद भी नहीं मिली पदोन्नति

2013 बैच के एएसओ को अभी तक पदोन्नति नहीं मिल सकी है। डीओपीटी मंत्री कह देते हैं कि फीडर ग्रेड में कोर्ट केस होने के कारण ‘एसओ’ के पद पर नियमित पदोन्नति नहीं दी जा सकती है। डीओपीटी की गाइडलाइन कहती है कि ऐसे मामले में एडहॉक पदोन्नति दी जा सकती है। पहले भी दी गई हैं। पिछले दिनों विभागीय परीक्षा 2018 का एक नोटिफिकेशन निकला था। डीओपीटी ने इस मामले में कोर्ट केस का सहारा लेकर फीडर ग्रेड में एग्जाम करने का शेड्यूल तैयार कर दिया। जब इस मामले में कोर्ट केस का सहारा लेकर परीक्षा का शेड्यूल जारी हो सकता है, तो उसी आधार पर पदोन्नति भी दी जा सकती है।

कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा कई सांसदों ने पत्र लिखकर कार्मिक मंत्री को जल्द ही इन रिक्त पदों को भरने का अनुरोध किया था। 2013 बैच के सहायक अनुभाग अधिकारी ‘एएसओ’ को एडहॉक पदोन्नति देने का आग्रह करने वालों में केंद्रीय मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह, जल शक्ति एवं जनजातीय कार्य राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडू, लोकसभा सांसद बेल्लाना चन्द्र शेखर, रतन लाल कटारिया, विजय बघेल और सांसद रंजीता कोली शामिल हैं। इन सभी ने डॉ. जितेंद्र सिंह को पत्र लिखकर सीएसएस अधिकारियों की पदोन्नति का मुद्दा उठाया था। अगर इन पदों को अविलंब भरा जाता है, तो निचले स्तर पर पद रिक्त हो जाएंगे। नए उम्मीदवारों को नौकरी में आने का मौका मिलेगा एवं विभिन्न स्तरों पर पदोन्नति की राह भी खुल जाएगी।

केंद्रीय मंत्रालयों में खाली पड़े हैं ‘एसओ’ के इतने पद

रक्षा मंत्रालय में सेक्शन अफसर (अनुभाग अधिकारी) के कुल 232 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 141 पद खाली पड़े हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सेक्शन अफसर के 41 पद हैं, जिनमें से 27 पद रिक्त हैं। एमओएसटी में 51 पद हैं। मौजूदा समय में 40 पद खाली पड़े हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय में सेक्शन अफसर के कुल 296 पद हैं। इनमें से 112 पद खाली पड़े हैं। केमिकल मिनिस्ट्री में सेक्शन अफसर के कुल पद 12 हैं, इनमें से 10 पद खाली हैं। फार्मा में सेक्शन अफसर के कुल 16 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 13 पद रिक्त हैं। शिपिंग मंत्रालय में सेक्शन अफसर के लिए स्वीकृत 37 पदों में से 26 पद खाली पड़े हैं। जल संसाधन मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के 69 पद हैं। इनमें से 20 पद रिक्त हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के 39 पद हैं, जिनमें से 24 पद खाली हैं। इसी तरह श्रम मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के कुल 79 पद स्वीकृत हैं। मौजूदा समय में 35 पद खाली हैं।

इन विभागों में भी हैं अनुभाग अधिकारी के खाली पद

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के 184 पदों में से 46 पद रिक्त हैं। कोयला मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के 24 पद हैं, जिनमें 15 पद रिक्त हैं। दूर संचार मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के लिए स्वीकृत 39 पदों में से 27 पद खाली पड़े हैं। कानून मंत्रालय में सेक्शन अफसर के 31 पदों में से 13 पद रिक्त हैं। डाक विभाग में 49 पद हैं, जिनमें से 9 पद खाली हैं। नीति आयोग में अनुभाग अधिकारी के 28 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 10 पद खाली पड़े हैं। डीएफएस में अनुभाग अधिकारी के कुल 29 पद हैं। इसमें से 13 पद रिक्त हैं। शिक्षा मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी के लिए 127 पद स्वीकृत किए गए हैं, इनमें 41 पद खाली पड़े हैं। डीजीएचएस, एमओएचएफडब्लू में अनुभाग अधिकारी के 28 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 20 पद रिक्त हैं। ट्राइबल अफेयर में अनुभाग अधिकारी के लिए 19 पद मंजूर किए गए हैं, जिनमें से आठ पद खाली हैं।



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