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Dilip Kumar: Tribute To The Birth Centenary – A Natural Artist…the School Of Acting In Itself – Dilip Kumar: जन्मशती पर नमन- स्वाभाविक कलाकार…खुद में अभिनय के स्कूल

Dilip Kumar
– फोटो : सोशल मीडिया

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बॉलीवुड के लीजेंड…ट्रेजेडी किंग…अपने आप में अभिनय के चलते-फिरते स्कूल…इस तरह की तमाम उपमाओं से नवाजे गए दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार की रविवार को 100वीं जयंती है। रूपहले पर्दे पर किसी भी चरित्र को अपने अभिनय से जीवंत कर देने वाले दिलीप कुमार न सिर्फ एक अच्छे कलाकार थे, बल्कि एक सौम्य, मृदुभाषी, शिष्ट और सामने वाले को मंत्रमुग्ध कर देने वाले व्यक्तित्व के धनी भी थे। भारतीय सिनेमा के दिग्गज कलाकार उनके अभिनय कौशल का अनुकरण करना अपना सम्मान समझते हैं।

अब के पाकिस्तान के पेशावर में किस्सा ख्वानी बाजार की तंग गलियों में एक मध्यवर्गीय परिवार में 11 दिसंबर, 1922 को मोहम्मद यूसुफ खान का जन्म हुआ था। दिलीप कुमार उनका फिल्मी नाम था, जो प्रसिद्ध अभिनेत्री और फिल्म निर्माता देविका रानी ने दिया था। पिछले साल 21 जुलाई को 98 साल की उम्र में ट्रेजेडी किंग इस दुनिया से चले गए, लेकिन लोगों के दिल में वे आज भी जिंदा हैं। उनके साथी कलाकार उन्हें सदियों में पैदा होने वाले कलाकार के रूप में देखते हैं। कोई उन्हें स्वाभाविक कलाकार बताता है तो कोई पर्दे पर दिमाग, आवाज और शरीर को एकात्म कर देने वाला बेजोड़ अभिनेता।

दिलीप कुमार ने अभिनय की कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी। वह किसी फिल्म या ड्रामा स्कूल में नहीं गए थे। उनके अभिनय में एक निश्चित लय, संतुलन और गति थी जो उन्होंने अपने तरीके से हासिल की थी। आज फिल्म उद्योग और उनके चाहने वाले सिल्वर स्क्रीन के इस लीजेंड की जन्म शताब्दी मना रहे हैं। फिल्म इतिहासकार अमृत गांगर कहते हैं, दिलीप कुमार भारत के बहुआयामी चरित्र को पर्दे पर दर्शाते थे, यह संयोग है कि जब हम उनका जन्मोत्सव मना रहे हैं तो न केवल हिंदी सिनेमा के बारे में, बल्कि समग्र रूप से बहुलतावादी भारतीय सिनेमा की बात कर रहे हैं। वह अपनी मातृभाषा हिंडको, उर्दू के अलावा हिंदी, पश्तो, पंजाबी, मराठी, अंग्रेजी, बंगाली, गुजराती, फारसी, भोजपुरी और अवधी भी धाराप्रवाह बोलते थे।

‘ज्वार भाटा’ से शुरू हुआ फिल्मी करिअर 
लाला गुलाम सरवर खान और आयशा बेगम की 12 संतानों में से एक दिलीप कुमार ने 20 साल से कुछ ही अधिक उम्र में 1944 में ‘ज्वार भाटा’ से फिल्मी करिअर की शुरुआत की थी। 1998 में आई किला उनकी आखिरी फिल्म थी। 56 साल के अपने फिल्मी जीवन में उन्होंने एक से बढ़कर एक यादगार फिल्में दी। 1950 और 1960 के दशक को उनके साथ ही हिंदी सिनेमा के स्वर्ण काल के रूप में जाना जाता है। 1949 में आई महबूब खान की फिल्म ‘अंदाज’ से दिलीप कुमार स्टार बन गए। इस फिल्म में उनके साथ नरगिस और बचपन में पड़ोसी रहे राज कपूर थे। अगले साल नरगिस के साथ उनकी फिल्म जोगन आई थी।

बेजोड़ अभिनय की प्रतिबिंब फिल्में 
दिलीप कुमार ने ‘पैगाम’, ‘राम और श्याम’, ‘आन’, ‘कोहिनूर’ और ‘मुगल-ए-आजम’ जैसी फिल्मों में अपने अभियान का लोहा मनवाया। उनका अभिनय बंगाली फिल्म निर्माताओं नितिन बोस (‘दीदार’ और ‘गंगा जमुना’), तपन सिन्हा (‘संगीन महतो’) और बिमल रॉय (‘देवदास’ और ‘मधुमती’) के निर्देश में विकसित हुआ।

दिलीप कुमार सिनेमा और समाज की दुनिया में एक घटना : घई
‘कर्मा’ से लेकर ‘सौदागर’ और ‘विधाता’ से लेकर ‘शक्ति’, ‘क्रांति’ जैसी कई फिल्में हैं जो उनके स्वाभाविक अभिनय की गवाह हैं। ‘कर्मा’ के निर्देशक सुभाष घई कहते हैं, दिलीप कुमार सिनेमा और समाज की दुनिया में एक घटना हैं। वह अच्छे कलाकार तो थे ही, उससे अच्छे इंसान भी थे। ‘शक्ति’ में दिलीप कुमार के साथ काम करने वाले मेगास्टार अमिताभ बच्चन तो उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।

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बॉलीवुड के लीजेंड…ट्रेजेडी किंग…अपने आप में अभिनय के चलते-फिरते स्कूल…इस तरह की तमाम उपमाओं से नवाजे गए दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार की रविवार को 100वीं जयंती है। रूपहले पर्दे पर किसी भी चरित्र को अपने अभिनय से जीवंत कर देने वाले दिलीप कुमार न सिर्फ एक अच्छे कलाकार थे, बल्कि एक सौम्य, मृदुभाषी, शिष्ट और सामने वाले को मंत्रमुग्ध कर देने वाले व्यक्तित्व के धनी भी थे। भारतीय सिनेमा के दिग्गज कलाकार उनके अभिनय कौशल का अनुकरण करना अपना सम्मान समझते हैं।

अब के पाकिस्तान के पेशावर में किस्सा ख्वानी बाजार की तंग गलियों में एक मध्यवर्गीय परिवार में 11 दिसंबर, 1922 को मोहम्मद यूसुफ खान का जन्म हुआ था। दिलीप कुमार उनका फिल्मी नाम था, जो प्रसिद्ध अभिनेत्री और फिल्म निर्माता देविका रानी ने दिया था। पिछले साल 21 जुलाई को 98 साल की उम्र में ट्रेजेडी किंग इस दुनिया से चले गए, लेकिन लोगों के दिल में वे आज भी जिंदा हैं। उनके साथी कलाकार उन्हें सदियों में पैदा होने वाले कलाकार के रूप में देखते हैं। कोई उन्हें स्वाभाविक कलाकार बताता है तो कोई पर्दे पर दिमाग, आवाज और शरीर को एकात्म कर देने वाला बेजोड़ अभिनेता।

दिलीप कुमार ने अभिनय की कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी। वह किसी फिल्म या ड्रामा स्कूल में नहीं गए थे। उनके अभिनय में एक निश्चित लय, संतुलन और गति थी जो उन्होंने अपने तरीके से हासिल की थी। आज फिल्म उद्योग और उनके चाहने वाले सिल्वर स्क्रीन के इस लीजेंड की जन्म शताब्दी मना रहे हैं। फिल्म इतिहासकार अमृत गांगर कहते हैं, दिलीप कुमार भारत के बहुआयामी चरित्र को पर्दे पर दर्शाते थे, यह संयोग है कि जब हम उनका जन्मोत्सव मना रहे हैं तो न केवल हिंदी सिनेमा के बारे में, बल्कि समग्र रूप से बहुलतावादी भारतीय सिनेमा की बात कर रहे हैं। वह अपनी मातृभाषा हिंडको, उर्दू के अलावा हिंदी, पश्तो, पंजाबी, मराठी, अंग्रेजी, बंगाली, गुजराती, फारसी, भोजपुरी और अवधी भी धाराप्रवाह बोलते थे।

‘ज्वार भाटा’ से शुरू हुआ फिल्मी करिअर 

लाला गुलाम सरवर खान और आयशा बेगम की 12 संतानों में से एक दिलीप कुमार ने 20 साल से कुछ ही अधिक उम्र में 1944 में ‘ज्वार भाटा’ से फिल्मी करिअर की शुरुआत की थी। 1998 में आई किला उनकी आखिरी फिल्म थी। 56 साल के अपने फिल्मी जीवन में उन्होंने एक से बढ़कर एक यादगार फिल्में दी। 1950 और 1960 के दशक को उनके साथ ही हिंदी सिनेमा के स्वर्ण काल के रूप में जाना जाता है। 1949 में आई महबूब खान की फिल्म ‘अंदाज’ से दिलीप कुमार स्टार बन गए। इस फिल्म में उनके साथ नरगिस और बचपन में पड़ोसी रहे राज कपूर थे। अगले साल नरगिस के साथ उनकी फिल्म जोगन आई थी।

बेजोड़ अभिनय की प्रतिबिंब फिल्में 

दिलीप कुमार ने ‘पैगाम’, ‘राम और श्याम’, ‘आन’, ‘कोहिनूर’ और ‘मुगल-ए-आजम’ जैसी फिल्मों में अपने अभियान का लोहा मनवाया। उनका अभिनय बंगाली फिल्म निर्माताओं नितिन बोस (‘दीदार’ और ‘गंगा जमुना’), तपन सिन्हा (‘संगीन महतो’) और बिमल रॉय (‘देवदास’ और ‘मधुमती’) के निर्देश में विकसित हुआ।

दिलीप कुमार सिनेमा और समाज की दुनिया में एक घटना : घई

‘कर्मा’ से लेकर ‘सौदागर’ और ‘विधाता’ से लेकर ‘शक्ति’, ‘क्रांति’ जैसी कई फिल्में हैं जो उनके स्वाभाविक अभिनय की गवाह हैं। ‘कर्मा’ के निर्देशक सुभाष घई कहते हैं, दिलीप कुमार सिनेमा और समाज की दुनिया में एक घटना हैं। वह अच्छे कलाकार तो थे ही, उससे अच्छे इंसान भी थे। ‘शक्ति’ में दिलीप कुमार के साथ काम करने वाले मेगास्टार अमिताभ बच्चन तो उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।




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