Exclusive:किसानों की जेब भर रहा कड़कनाथ मुर्गा, 50 में एक अंडा तो 1200 रुपये में एक किलो बिकता है चिकन – Kadaknath Chicken One Egg In 50 And One Kg Chicken Sold In 1200 Rupees

कड़कनाथ मुर्गा पालन
– फोटो : अमर उजाला
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कड़कनाथ मुर्गा पालन से किसानों की जेब भर रही है। हाथरस का कृषि विज्ञान केंद्र किसानों और लोगों को इस मुर्गे की खासियत बता रहा है। इसी वजह से जिले में कड़कनाथ मुर्गे के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है। बाजार में इसके एक अंडे की कीमत 50 से 100 रुपये और मांस की कीमत 800 से 1200 प्रति किलोग्राम है।
कृषि विज्ञान केंद्र के पशु पालन वैज्ञानिक डॉ. सुधीर कुमार रावत ने बताया कि कड़कनाथ मुर्गा सामान्य मुर्गे से कई गुना महंगा बिकता है। कड़कनाथ एकमात्र काले मांस वाली नस्ल है। इसे काली मासी के नाम से भी जाना जाता है। इसके त्वचा, मांस, टांग, पंजा, हड्डी, चोंच, जीभ, पंख आदि सभी काले रंग के होते हैं। उन्होंने बताया कि कड़कनाथ मुर्गे के मांस में मेलानिन नामक पिगमेंट पाया जाता है, जिससे इसका मांस काला होता है, जो प्रोटीन व उच्च गुणवत्ता वाला होता है। डॉ रावत ने बताया कि कम लागत में लाभ अधिक के कारण इसकी मांग बहुत ज्यादा हो रही है। अन्य मुर्गों की तुलना में इसकी मृत्यु दर भी काफी कम है।
हृदय व रक्तचाप वाले रोगियों के लिए है फायदेमंद
पशु पालन वैज्ञानिक के अनुसार, कड़कनाथ मुर्गे में कोलेस्ट्रोल की मात्रा 180 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम पाई जाती है, जबकि सामान्य मुर्गे में 218 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होती है, जो हृदयाघात और उक्त रक्तचाप के रोगियों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस भी पाया जाता है। इसका मांस कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग, श्वांस रोग तथा प्रजनन से संबंधित समस्याओं के निदान में भी उपयोगी बताया जाता है।
कड़कनाथ की हैं तीन प्रजातियां
इस मुर्गे का पालन करना आसान है। इसकी 3 प्रजातियां होती हैं, जिसमें जेट ब्लैक, गोल्डन और पेंसिल्ड हैं। इसकी छोटे या बड़े स्तर पर शुरुआत कर सकते हैं। किसान अपने घर पर छोटा सा दड़बा बनाकर भी इसे पाल सकते हैं। प्रति मुर्गा 1 से 1.5 वर्ग फुट जगह की आवश्यकता होती है।
जिले में लगातार बढ़ रहा कड़कनाथ का पालन
कड़कनाथ के लिए विशेष आवास की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। डॉ सुधीर कुमार रावत ने बताया कि जिले में कड़कनाथ का पालन लगातार बढ़ रहा है, जो कृषि विज्ञान केंद्र पर बिक्री व प्रदर्शन के लिए उपलब्ध है।
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