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Gujarat Election: Bilkis Bano And Ahmed Patel Name Resonating In Godhra, Aimim-aap Became Bjp-congress Tension – Gujarat Election: गोधरा में गूंज रहा बिलकिस बानो और अहमद पटेल का नाम! ओवैसी-आप बने भाजपा-कांग्रेस की टेंशन

Gujarat Election- Godhra
– फोटो : Amar Ujala

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गुजरात का पंचमहल जिला पांच जिलों से मिलकर बना है। हर चुनावों में इस जिले की एक मात्र सीट पर पूरे प्रदेश नहीं बल्कि पूरे देश की नजर टिकी होती है। 2002 के दंगों के बाद चर्चा में आई गोधरा सीट की प्रदेश के सबसे चर्चित सीटों में से एक है। इस सीट पर फिलहाल भाजपा उम्मीदवार का बिलकिस बानो के बलात्कारियों को ‘संस्कारी ब्राह्मण’ बताने वाला बयान चुनावी मुद्दा बना हुआ है। जबकि कांग्रेस के कार्यकर्ता अपनी जीत के लिए कद्दावर नेता रहे अहमद पटेल की कमी को महसूस कर कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस सीट को पार्टी कैसे जीते, इसके लिए पटेल ही रणनीति तैयार करते थे। इधर, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी ने भी अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इससे भाजपा और कांग्रेस की बेचैनी बढ़ गई है।  

पंचमहल जिले में गोधरा, शेहरा, कलोल, हलोल और मोरवा विधानसभा सीटें आती हैं। क्षेत्र की गोधरा सीट मुस्लिम बहुल सीट है। इसके अलावा यहां आदिवासियों की भी अच्छी खासी तादाद है। 2017 के पहले गोधरा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। क्योंकि वह हर चुनावों में अपनी सत्ता कायम रखने में सफल रहती थी। लेकिन 2017 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली। 2022 के चुनाव में भाजपा ने दोबारा सी.के. राउल को मैदान में उतारा है। कभी कांग्रेसी रहे सीके राउल ने 2017 के चुनाव के ठीक पहले भाजपा का हाथ पकड़ा था। लेकिन भाजपा के टिकट पर उन्हें जीत हासिल करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी थी। बावजूद इसके भाजपा ने फिर इन चुनावों पर राउल पर ही दांव खेला है। राउल की क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जाती है। वे इससे पहले कांग्रेस में रहते हुए 2007 और 2012 का विधानसभा चुनाव भी जीते चुके हैं।

इधर, गोधरा में भाजपा उम्मीदवार राउल के हाल ही में दिए गए बयान ‘बिलकिस मामले के कुछ दोषी अच्छे संस्कारों वाले और ब्राह्मण हैं, उन्हें फंसाया गया।’ की चर्चा है। स्थानीय लोगों अमर उजाला से चर्चा में कहते हैं कि एक विधायक को इस तरह की बातें बोलना शोभा नहीं देता है। हम किसी एक एक जाति, धर्म या समुदाय की बात नहीं करते हैं। लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि को बलात्कारियों का समर्थन नहीं करना चाहिए। कांग्रेस पार्टी में रहते हुए सीके राउल ने बहुत काम किए हैं। लेकिन भाजपा में जाने के बाद वे क्षेत्र में नजर नहीं आते हैं। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बीते पांच सालों में कभी दिखाई ही नहीं दिए।

15 साल से एक ही विधायक, भाजपा में भी विरोध

इसके अलावा गोधरा क्षेत्र के भाजपा के कार्यकर्ता भी दबी जुबान में दोबारा से टिकट मिलने का विरोध करते हुए नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने जब तय किया था कि 2017 के चुनाव में जो विधायक कम अंतर से जीते हैं, उन्हें पार्टी टिकट नहीं देगी। इसके बाद भी पार्टी ने सीके राउल को टिकट दे दिया। इस सीट पर बीते 15 से वह ही विधायक हैं। दो बार कांग्रेस से एक बार भाजपा से। 2017 के चुनावों में सी.के. राउल ने कांग्रेस के प्रत्याशी परमार राजेंद्र सिंह बलवंत सिंह को चुनाव में बेहद कम मतों के अंतर से मात दी थी। भाजपा विधायक राउल को 42 फीसदी वोट शेयर के साथ कुल 75 हजार 149 वोट हासिल हुए थे। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 41 फीसदी वोट शेयर के साथ 74 हजार 891 वोट हासिल हुए थे। दोनों के बीच ही बेहद कांटे की टक्कर हुई थी। भाजपा के सीके राउल मात्र 258 वोटों के साथ जीते थे।

इधर, कभी कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली इस सीट पर कांग्रेस ने रश्चिम चौहान को मैदान में उतारा है। कांग्रेस उम्मीदवार का आदिवासी बेल्ट के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। स्थानीय विधायक के नाराजगी का फायदा भी पार्टी को मिल सकता है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे इस चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे अहमद पटेल की कमी को महसूस करते हैं। वे कहते है कि अहमद भाई को यहां के गली-मोहल्लों तक की जानकारी थी। पार्टी यहां से कैसे जीते इसके लिए वे प्लान तैयार करते थे। इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी यहां अच्छे अंतर से जीती। कई बार वे इस सीट के प्रभारी भी रहे। कांग्रेस का इस सीट पर लंबे वक्त से दबदबा रहा है। 2002 के दंगों के बाद इस सीट पर भाजपा के हरेश भट्ट ने जीत हासिल की थी। लेकिन 2007 और 2012 में फिर कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीन ली। कांग्रेस 1980 और 1985 के विधानसभा चुनावों में भी यहां से जीत हासिल कर चुकी है।

आप और ओवैसी ने बढ़ाई मुश्किल

गोधरा सीट पर मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा है। इस सीट पर करीब ढाई लाख मतदाता हैं। इनमें से करीब 70 से हजार से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं। इसके बाद आदिवासियों की संख्या ज्यादा है। लेकिन इस चुनाव में भाजपा को कांग्रेस के साथ-साथ ओवैसी और आम आदमी पार्टी से भी कड़ी टक्कर मिल रही है। दोनों ही पार्टी ने स्थानीय निकाय चुनाव भी लड़ा था। अब दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव में भी अपना उम्मीदवार उतारा है। औवेसी अपने उम्मीदवार के लिए रैली और सभा भी कर चुके हैं।

विस्तार

गुजरात का पंचमहल जिला पांच जिलों से मिलकर बना है। हर चुनावों में इस जिले की एक मात्र सीट पर पूरे प्रदेश नहीं बल्कि पूरे देश की नजर टिकी होती है। 2002 के दंगों के बाद चर्चा में आई गोधरा सीट की प्रदेश के सबसे चर्चित सीटों में से एक है। इस सीट पर फिलहाल भाजपा उम्मीदवार का बिलकिस बानो के बलात्कारियों को ‘संस्कारी ब्राह्मण’ बताने वाला बयान चुनावी मुद्दा बना हुआ है। जबकि कांग्रेस के कार्यकर्ता अपनी जीत के लिए कद्दावर नेता रहे अहमद पटेल की कमी को महसूस कर कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस सीट को पार्टी कैसे जीते, इसके लिए पटेल ही रणनीति तैयार करते थे। इधर, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी ने भी अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इससे भाजपा और कांग्रेस की बेचैनी बढ़ गई है।  

पंचमहल जिले में गोधरा, शेहरा, कलोल, हलोल और मोरवा विधानसभा सीटें आती हैं। क्षेत्र की गोधरा सीट मुस्लिम बहुल सीट है। इसके अलावा यहां आदिवासियों की भी अच्छी खासी तादाद है। 2017 के पहले गोधरा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। क्योंकि वह हर चुनावों में अपनी सत्ता कायम रखने में सफल रहती थी। लेकिन 2017 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली। 2022 के चुनाव में भाजपा ने दोबारा सी.के. राउल को मैदान में उतारा है। कभी कांग्रेसी रहे सीके राउल ने 2017 के चुनाव के ठीक पहले भाजपा का हाथ पकड़ा था। लेकिन भाजपा के टिकट पर उन्हें जीत हासिल करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी थी। बावजूद इसके भाजपा ने फिर इन चुनावों पर राउल पर ही दांव खेला है। राउल की क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जाती है। वे इससे पहले कांग्रेस में रहते हुए 2007 और 2012 का विधानसभा चुनाव भी जीते चुके हैं।

इधर, गोधरा में भाजपा उम्मीदवार राउल के हाल ही में दिए गए बयान ‘बिलकिस मामले के कुछ दोषी अच्छे संस्कारों वाले और ब्राह्मण हैं, उन्हें फंसाया गया।’ की चर्चा है। स्थानीय लोगों अमर उजाला से चर्चा में कहते हैं कि एक विधायक को इस तरह की बातें बोलना शोभा नहीं देता है। हम किसी एक एक जाति, धर्म या समुदाय की बात नहीं करते हैं। लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि को बलात्कारियों का समर्थन नहीं करना चाहिए। कांग्रेस पार्टी में रहते हुए सीके राउल ने बहुत काम किए हैं। लेकिन भाजपा में जाने के बाद वे क्षेत्र में नजर नहीं आते हैं। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बीते पांच सालों में कभी दिखाई ही नहीं दिए।

15 साल से एक ही विधायक, भाजपा में भी विरोध

इसके अलावा गोधरा क्षेत्र के भाजपा के कार्यकर्ता भी दबी जुबान में दोबारा से टिकट मिलने का विरोध करते हुए नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने जब तय किया था कि 2017 के चुनाव में जो विधायक कम अंतर से जीते हैं, उन्हें पार्टी टिकट नहीं देगी। इसके बाद भी पार्टी ने सीके राउल को टिकट दे दिया। इस सीट पर बीते 15 से वह ही विधायक हैं। दो बार कांग्रेस से एक बार भाजपा से। 2017 के चुनावों में सी.के. राउल ने कांग्रेस के प्रत्याशी परमार राजेंद्र सिंह बलवंत सिंह को चुनाव में बेहद कम मतों के अंतर से मात दी थी। भाजपा विधायक राउल को 42 फीसदी वोट शेयर के साथ कुल 75 हजार 149 वोट हासिल हुए थे। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 41 फीसदी वोट शेयर के साथ 74 हजार 891 वोट हासिल हुए थे। दोनों के बीच ही बेहद कांटे की टक्कर हुई थी। भाजपा के सीके राउल मात्र 258 वोटों के साथ जीते थे।

इधर, कभी कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली इस सीट पर कांग्रेस ने रश्चिम चौहान को मैदान में उतारा है। कांग्रेस उम्मीदवार का आदिवासी बेल्ट के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। स्थानीय विधायक के नाराजगी का फायदा भी पार्टी को मिल सकता है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे इस चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे अहमद पटेल की कमी को महसूस करते हैं। वे कहते है कि अहमद भाई को यहां के गली-मोहल्लों तक की जानकारी थी। पार्टी यहां से कैसे जीते इसके लिए वे प्लान तैयार करते थे। इसका नतीजा यह रहा कि पार्टी यहां अच्छे अंतर से जीती। कई बार वे इस सीट के प्रभारी भी रहे। कांग्रेस का इस सीट पर लंबे वक्त से दबदबा रहा है। 2002 के दंगों के बाद इस सीट पर भाजपा के हरेश भट्ट ने जीत हासिल की थी। लेकिन 2007 और 2012 में फिर कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीन ली। कांग्रेस 1980 और 1985 के विधानसभा चुनावों में भी यहां से जीत हासिल कर चुकी है।

आप और ओवैसी ने बढ़ाई मुश्किल

गोधरा सीट पर मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा है। इस सीट पर करीब ढाई लाख मतदाता हैं। इनमें से करीब 70 से हजार से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं। इसके बाद आदिवासियों की संख्या ज्यादा है। लेकिन इस चुनाव में भाजपा को कांग्रेस के साथ-साथ ओवैसी और आम आदमी पार्टी से भी कड़ी टक्कर मिल रही है। दोनों ही पार्टी ने स्थानीय निकाय चुनाव भी लड़ा था। अब दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव में भी अपना उम्मीदवार उतारा है। औवेसी अपने उम्मीदवार के लिए रैली और सभा भी कर चुके हैं।




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