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Himachal Election 2022, The Coalition Govt Was Formed Only Once In Himachal, Know The Political History Of The – Himachal Election: हिमाचल के राजनीतिक इतिहास में एक ही बार बनी गठबंधन की सरकार, पढ़ें- रोचक जानकारी

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पूर्व मंत्री रमेश धवाला
– फोटो : अमर उजाला

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हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में सिर्फ एक बार वर्ष 1998 में ही गठबंधन की सरकार बनी थी। अधिकांश समय प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा है। निर्दलियों की भूमिका भी 1998 के बाद अधिक असरदार नहीं रही। सोमवार शाम को एग्जिट पोल में दिखाई गई कांटे की टक्कर के आधार पर इस बार सरकार के गठन का दारोमदार निर्दलियों पर टिकता नजर आ रहा है।

वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में पहली बार निर्दलीय विधायक बने रमेश धवाला के पाला बदलने से प्रदेश में सरकार बदल गई थी। सबसे ज्यादा 32 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने रमेश धवाला को साथ लेकर सरकार तो बना ली थी, लेकिन यह सरकार एक पखवाड़ा पूरा करने से पहले ही गिर गई थी। वर्ष 1998 में 65 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव हुआ। भाजपा ने 29 और कांग्रेस ने 32 सीटों पर जीत दर्ज की थी। चुनाव परिणाम आने से पहले एक प्रत्याशी का निधन होने के कारण भाजपा के पास 28 विधायक रह गए थे।

सरकार बनाने के लिए 33 विधायक चाहिए थे। रमेश धवाला को साथ लेकर कांग्रेस ने सरकार बनाई। इस बीच रमेश धवाला ने कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया। धवाला के पाला बदलने से भाजपा ने हिमाचल विकास कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने का दावा पेश किया। चुनाव में हिविकां के चार विधायक जीते थे। सदन के भीतर दलीय स्थिति में धवाला को मिलाकर भाजपा और हिविकां गठबंधन के 33 विधायक हो गए, जबकि कांग्रेस के पास 31 विधायक थे, एक विधायक को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया था।

तीन जनजातीय क्षेत्रों में चुनाव जून 1999 में हुए थे। इसके बाद से प्रदेश में पांच-पांच वर्ष तक भाजपा और कांग्रेस की सरकारें ही रही हैं। दोनों दलों ने पूर्ण बहुमत प्राप्त कर सरकारें बनाई हैं। 2017 में भाजपा 44 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता में आई थी।

विस्तार

हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में सिर्फ एक बार वर्ष 1998 में ही गठबंधन की सरकार बनी थी। अधिकांश समय प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा है। निर्दलियों की भूमिका भी 1998 के बाद अधिक असरदार नहीं रही। सोमवार शाम को एग्जिट पोल में दिखाई गई कांटे की टक्कर के आधार पर इस बार सरकार के गठन का दारोमदार निर्दलियों पर टिकता नजर आ रहा है।

वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में पहली बार निर्दलीय विधायक बने रमेश धवाला के पाला बदलने से प्रदेश में सरकार बदल गई थी। सबसे ज्यादा 32 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने रमेश धवाला को साथ लेकर सरकार तो बना ली थी, लेकिन यह सरकार एक पखवाड़ा पूरा करने से पहले ही गिर गई थी। वर्ष 1998 में 65 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव हुआ। भाजपा ने 29 और कांग्रेस ने 32 सीटों पर जीत दर्ज की थी। चुनाव परिणाम आने से पहले एक प्रत्याशी का निधन होने के कारण भाजपा के पास 28 विधायक रह गए थे।

सरकार बनाने के लिए 33 विधायक चाहिए थे। रमेश धवाला को साथ लेकर कांग्रेस ने सरकार बनाई। इस बीच रमेश धवाला ने कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया। धवाला के पाला बदलने से भाजपा ने हिमाचल विकास कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने का दावा पेश किया। चुनाव में हिविकां के चार विधायक जीते थे। सदन के भीतर दलीय स्थिति में धवाला को मिलाकर भाजपा और हिविकां गठबंधन के 33 विधायक हो गए, जबकि कांग्रेस के पास 31 विधायक थे, एक विधायक को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया था।

तीन जनजातीय क्षेत्रों में चुनाव जून 1999 में हुए थे। इसके बाद से प्रदेश में पांच-पांच वर्ष तक भाजपा और कांग्रेस की सरकारें ही रही हैं। दोनों दलों ने पूर्ण बहुमत प्राप्त कर सरकारें बनाई हैं। 2017 में भाजपा 44 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता में आई थी।



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