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Himachal Pradesh: Why Pratibha-vikramaditya Singh Could Not Become Chief Minister And Deputy Cm? – Himachal Pradesh: प्रतिभा-विक्रमादित्य सिंह क्यों नहीं बन सके मुख्यमंत्री और डिप्टी Cm? जानें पांच बड़े कारण

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सचिन पायलट, राजीव शुक्ला समेत पार्टी के कई दिग्ग्ज नेता शामिल हुए। 

मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के नामों को लेकर पिछले दो दिनों में खूब सियासत हुई। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के नाम की सबसे आगे थीं, लेकिन अंत में सुखविंदर सिंह सुक्खू बाजी मार ले गए।

 इसके बाद चर्चा शुरू हुई कि प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को उप-मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। ऐसा करके प्रतिभा सिंह के खेमे को शांत करने की अटकलें थीं, लेकिन ऐन वक्त पूरा पासा ही पलट गया। उप-मुख्यमंत्री की दौड़ से भी वीरभद्र सिंह का परिवार बाहर हो गया। विक्रमादित्य की जगह कांग्रेस विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री के नाम का एलान हो गया। 

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जिन वीरभद्र सिंह के नाम पर कांग्रेस ने खूब चुनाव प्रसार किया, उनके परिवार में से किसी को मुख्यमंत्री या उप-मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया गया? क्या कारण थे कि आखिरी समय में प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह दौड़ से भी बाहर हो गए? आइए जानते हैं…

 

क्यों दौड़ से बाहर हुए प्रतिभा और विक्रमादित्य सिंह? 

इसे समझने के लिए हमने हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण गोपाल ठाकुर से बात की। उन्होंने कहा, ‘प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री न बनाना काफी हद तक लोगों को समझ में आता है, लेकिन विक्रमादित्य का नाम डिप्टी सीएम से भी बाहर होना एक बड़ा सियासी संदेश है। इसके कई मायने निकाले जा सकते हैं।’

 

आगे कृष्ण गोपाल ने दोनों के दौड़ से बाहर होने के पांच बड़े कारण बताए…

1. उपचुनाव नहीं चाहती पार्टी: कांग्रेस हाईकमान किसी भी हालत में अभी उपचुनाव नहीं चाहती है। सुखविंदर सिंह सुक्खू विधायक चुने जा चुके हैं, जबकि प्रतिभा सिंह अभी सांसद हैं। अगर प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाया जाता, तो कांग्रेस को दो उपचुनाव कराने पड़ते। पहला विधानसभा और दूसरा मंडी लोकसभा सीट पर। इस बार हिमाचल प्रदेश में हुए चुनाव में मंडी लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली 17 में से 12 विधानसभा सीटों पर भाजपा की जीत हुई है। मतलब अगर उपचुनाव होते तो कांग्रेस को ये सीट हारने का डर था। वहीं, विधानसभा के अन्य सीटों पर भी जो जीत मिली है, वो बहुत कम मार्जिन से मिली है। ऐसे में उपचुनाव में भी हार का डर था।

 

2. परिवारवाद के आरोपों को खारिज करना चाहती है पार्टी: कांग्रेस पर हमेशा से परिवारवाद का आरोप लगता रहा है। प्रतिभा सिंह के पति वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश में लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे। उनके बेटे भी विधायक हैं और खुद प्रतिभा सिंह सांसद हैं। ऐसे में अगर प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री या विक्रमादित्य को उप मुख्यमंत्री बनाया जाता तो एक बार फिर से कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगता।

 

3. मंडी में मिली हार: कांग्रेस ने हिमाचल के चार में से तीन लोकसभा क्षेत्रों में पड़ने वाली विधानसभाओं में बेहतर प्रदर्शन किया। वह भी तब जब इन तीनों लोकसभा पर भाजपा का कब्जा है। लेकिन जहां से कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह सांसद हैं, वहां काफी खराब रिजल्ट गया। मंडी लोकसभा की 17 में से 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को हार मिली। 

 




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