Editor’s Pick

Law Minister Kiren Rijiju Says Collegium System Is Alien To Constitution – Collegium System: भारतीय संविधान के लिए कॉलेजियम सिस्टम एलियन की तरह, कानून मंत्री ने फिर किया तीखा हमला

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू
– फोटो : सोशल मीडिया

ख़बर सुनें

देश की न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया कॉलेजियम सिस्टम इन दिनों खूब चर्चाओं में हैं। केंद्र सरकार जहां इसमें संशोधन की बात कर रही है वहीं सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया का लगातार बचाव कर रहा है। इस बीच, एक बार फिर आज यानी शुक्रवार को कानून मंत्री ने कॉलेजियम सिस्टम पर तीखा हमला किया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि भारत के संविधान के लिए कॉलेजियम सिस्टम एलियन की तरह है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस प्रक्रिया का सम्मान करती है क्योंकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के मुताबिक कोई भी न्यायपालिका का अपनाम नहीं कर सकता है। इस दौरान उन्होंने यह दावा भी किया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने विवेक से एक सुनवाई के दौरान कॉलेजियम को बनाया है।  

कानून मंत्री ने ताजा हमला करते हुए कहा कि भारत का संविधान सभी के लिए, विशेषकर सरकार के लिए एक ‘धार्मिक दस्तावेज’ है। कोई चीज जो संविधान से अलग है, उसे सिर्फ इस लिहाज से कि अदालत और कुछ जजों ने तय किया है आप कैसे मान सकते हैं कि पूरा देश उसका समर्थन करता है। रिजिजू ने पूछा, आप बताएं कि कॉलेजियम प्रणाली किस प्रावधान के तहत निर्धारित की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के कॉलेजियम से सिफारिश भेजे जाने के बाद सरकार को उचित परिश्रम करना पड़ता है।

रिजिजू अदालतों में लंबित मामले बढ़ने के बावजूद सुप्रीम कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार की ओर से देरी के सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, यह नहीं कहना चाहिए कि सरकार फाइलों को दबाकर उस पर बैठी है। फिर आप सरकार को फाइलें मत भेजो। खुद नियुक्ति कर लें और शो चलाते रहें। सिस्टम ऐसे काम नहीं करता है। कार्यपालिका और न्यायपालिका को मिलकर काम करना होगा।
 
1991 से पहले सरकारें नियुक्त करती थीं जज 
मंत्री ने कहा, 1991 में तत्कालीन सरकार और वर्तमान शासन कॉलेजियम प्रणाली का तब तक बहुत सम्मान करते हैं जब तक कि इसे एक बेहतर प्रणाली स्थापित नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि वह इस बहस में नहीं पड़ेंगे कि यह व्यवस्था कैसी होनी चाहिए। इसके लिए एक बेहतर मंच या बेहतर स्थिति की आवश्यकता है।
 
संसद ने सर्वसम्मति से एनजेएसी बिल पारित किया, सुप्रीम कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया
रिजिजू ने कहा, संसद ने लगभग सर्वसम्मति से कॉलेजियम प्रणाली को उलटने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम पारित किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया। कॉलेजियम प्रणाली में कई खामियां हैं और लोग आवाज उठा रहे हैं कि प्रणाली पारदर्शी नहीं है। साथ ही कोई जवाबदेही भी नहीं है। 
 
हर जज सही नहीं पर हर फैसला होता है सही
कॉलेजियम सिस्टम को संविधान से अलग बताने से पहले रिजिजू ने कहा, हर जज सही नहीं होता। लेकिन हर फैसला सही है क्योंकि यह एक न्यायिक फैसला है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में, कोई भी न्यायपालिका का अपमान नहीं कर सकता है और कोई भी अदालत के आदेश की अवज्ञा नहीं कर सकता है।

 जज को अपने फैसले के जरिए बोलना चाहिए 
इस दौरान उन्होंने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एक न्यायाधीश को अपने फैसले के माध्यम से बोलना चाहिए क्योंकि उनकी टिप्पणियों से मुश्किल स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर कहा कि लोग यह भी पूछेंगे कि कॉलेजियम ने एक विशेष व्यक्ति को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए कैसे चुना? उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों द्वारा की गई कुछ टिप्पणियां सुर्खियां बनती हैं, लेकिन रिपोर्ट की गई टिप्पणियां फैसले का हिस्सा नहीं बनती हैं।

कार्यपालिका, न्यायपालिका भाइयों की तरह: रिजिजू
केंद्रीय विधि व न्याय मंत्री ने कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका भाइयों की तरह हैं। उन्हें आपस में नहीं लड़ना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कभी भी न्यायपालिका के अधिकार को कमजोर नहीं किया है। वह हमेशा यह सुनिश्चित करेगी कि उसकी स्वतंत्रता अछूती रहे और सवंर्धित हो।

पहले भी खड़े करते रहे हैं सवाल
इससे पहले भी केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने देश की न्यायपालिका के कॉलेजियम पर सवाल खड़े किए हैं। हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि न्यायिक नियुक्तियों में तेजी लाने के लिए वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली पर विचार करने की जरूरत है।

विस्तार

देश की न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया कॉलेजियम सिस्टम इन दिनों खूब चर्चाओं में हैं। केंद्र सरकार जहां इसमें संशोधन की बात कर रही है वहीं सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया का लगातार बचाव कर रहा है। इस बीच, एक बार फिर आज यानी शुक्रवार को कानून मंत्री ने कॉलेजियम सिस्टम पर तीखा हमला किया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि भारत के संविधान के लिए कॉलेजियम सिस्टम एलियन की तरह है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस प्रक्रिया का सम्मान करती है क्योंकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के मुताबिक कोई भी न्यायपालिका का अपनाम नहीं कर सकता है। इस दौरान उन्होंने यह दावा भी किया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने विवेक से एक सुनवाई के दौरान कॉलेजियम को बनाया है।  

कानून मंत्री ने ताजा हमला करते हुए कहा कि भारत का संविधान सभी के लिए, विशेषकर सरकार के लिए एक ‘धार्मिक दस्तावेज’ है। कोई चीज जो संविधान से अलग है, उसे सिर्फ इस लिहाज से कि अदालत और कुछ जजों ने तय किया है आप कैसे मान सकते हैं कि पूरा देश उसका समर्थन करता है। रिजिजू ने पूछा, आप बताएं कि कॉलेजियम प्रणाली किस प्रावधान के तहत निर्धारित की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के कॉलेजियम से सिफारिश भेजे जाने के बाद सरकार को उचित परिश्रम करना पड़ता है।

रिजिजू अदालतों में लंबित मामले बढ़ने के बावजूद सुप्रीम कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार की ओर से देरी के सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, यह नहीं कहना चाहिए कि सरकार फाइलों को दबाकर उस पर बैठी है। फिर आप सरकार को फाइलें मत भेजो। खुद नियुक्ति कर लें और शो चलाते रहें। सिस्टम ऐसे काम नहीं करता है। कार्यपालिका और न्यायपालिका को मिलकर काम करना होगा।

 

1991 से पहले सरकारें नियुक्त करती थीं जज 

मंत्री ने कहा, 1991 में तत्कालीन सरकार और वर्तमान शासन कॉलेजियम प्रणाली का तब तक बहुत सम्मान करते हैं जब तक कि इसे एक बेहतर प्रणाली स्थापित नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि वह इस बहस में नहीं पड़ेंगे कि यह व्यवस्था कैसी होनी चाहिए। इसके लिए एक बेहतर मंच या बेहतर स्थिति की आवश्यकता है।

 

संसद ने सर्वसम्मति से एनजेएसी बिल पारित किया, सुप्रीम कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया

रिजिजू ने कहा, संसद ने लगभग सर्वसम्मति से कॉलेजियम प्रणाली को उलटने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम पारित किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया। कॉलेजियम प्रणाली में कई खामियां हैं और लोग आवाज उठा रहे हैं कि प्रणाली पारदर्शी नहीं है। साथ ही कोई जवाबदेही भी नहीं है। 

 

हर जज सही नहीं पर हर फैसला होता है सही

कॉलेजियम सिस्टम को संविधान से अलग बताने से पहले रिजिजू ने कहा, हर जज सही नहीं होता। लेकिन हर फैसला सही है क्योंकि यह एक न्यायिक फैसला है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में, कोई भी न्यायपालिका का अपमान नहीं कर सकता है और कोई भी अदालत के आदेश की अवज्ञा नहीं कर सकता है।

 जज को अपने फैसले के जरिए बोलना चाहिए 

इस दौरान उन्होंने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एक न्यायाधीश को अपने फैसले के माध्यम से बोलना चाहिए क्योंकि उनकी टिप्पणियों से मुश्किल स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर कहा कि लोग यह भी पूछेंगे कि कॉलेजियम ने एक विशेष व्यक्ति को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए कैसे चुना? उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों द्वारा की गई कुछ टिप्पणियां सुर्खियां बनती हैं, लेकिन रिपोर्ट की गई टिप्पणियां फैसले का हिस्सा नहीं बनती हैं।

कार्यपालिका, न्यायपालिका भाइयों की तरह: रिजिजू

केंद्रीय विधि व न्याय मंत्री ने कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका भाइयों की तरह हैं। उन्हें आपस में नहीं लड़ना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कभी भी न्यायपालिका के अधिकार को कमजोर नहीं किया है। वह हमेशा यह सुनिश्चित करेगी कि उसकी स्वतंत्रता अछूती रहे और सवंर्धित हो।

पहले भी खड़े करते रहे हैं सवाल

इससे पहले भी केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने देश की न्यायपालिका के कॉलेजियम पर सवाल खड़े किए हैं। हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि न्यायिक नियुक्तियों में तेजी लाने के लिए वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली पर विचार करने की जरूरत है।




Source link

Related Articles

Back to top button