Mcd Election: Bjp Campaign Without Amit Shah And Yogi Adityanath, Will Party Get The Victory? – Mcd Election: अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बिना हुआ भाजपा का प्रचार, क्या लगेगा जीत का चौका?
MCD Election- Himachal CM Jairam Thakur – फोटो : Agency
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दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi MCD Election 2022) के लिए शुक्रवार शाम पांच बजे चुनाव प्रचार का शोर थम गया। रविवार चार दिसंबर को दिल्ली नगर निगम के लिए मतदान होगा। सात दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के साथ ही पता चल पाएगा कि दिल्ली वालों ने शहर की मूल व्यवस्था को ठीक रखने के लिए किस दल पर भरोसा जताया है। नगर निगम चुनाव में जीत किसी भी दल को मिले, लेकिन इन चुनावों के लंबे दूरगामी असर को ध्यान में रखते हुए भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, तीनों ने अपना पूरा दमखम लगा दिया है।
भाजपा ने नगर निगम चुनावों में जीत का चौका लगाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों और अनुराग ठाकुर, पीयूष गोयल, हरदीप सिंह पुरी जैसे दर्जनों केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार में झोंक कर यह बता दिया है कि उसके लिए नगर निगम का चुनाव किसी भी दृष्टि से कमतर नहीं है। हालांकि, इस बार भाजपा के शीर्ष नेता अमित शाह और बड़े स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ भाजपा के चुनावी अभियान से दूर रहे। योगी आदित्यनाथ का चुनाव प्रचार से दूर होना पार्टी के लिए अच्छा नहीं कहा जा रहा है क्योंकि माना जाता है कि पिछले नगर निगम चुनाव में उन्होंने ही अपने आक्रामक चुनाव प्रचार से दिल्ली की चुनावी हवा बदलकर रख दी थी और भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने में सफल रही थी।
जीत के लिए किस पर भरोसा?
भाजपा को नगर निगम में जीत के लिए अपने काम से ज्यादा पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के करिश्मे पर भरोसा है। पार्टी को लगता है कि केंद्र सरकार के द्वारा गरीबों को प्रतिमाह दिए जा रहे राशन, कोरोना काल में लोगों की गई मदद, किसानों-महिलाओं को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से दी गई आर्थिक सहायता और पीएम मोदी द्वारा दिल्ली के 3024 झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब परिवारों को दिया गया मकान उसे जीत दिलाने में कारगर होगा। पार्टी ने घोषणा कर रखी है कि यदि वह सत्ता में आएगी, तो हर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवार को पक्का मकान देगी। चूंकि, उसने 3024 गरीब परिवारों को मकान दे भी दिया है, यह दांव उसे गरीब लोगों के बीच लोकप्रिय बना रहा है। भाजपा ने एक झुग्गी वाले को अपना पार्षद उम्मीदवार बनाकर भी गरीबों के करीब पहुंचने की कोशिश की है।
ये है चुनौतियां
लेकिन भाजपा को नगर निगम में कथित तौर पर व्याप्त भ्रष्टाचार की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। शहर में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था न हो पाना उसके लिए बड़ी नाकामी साबित हुए हैं। सफाई कर्मचारियों को वेतन न दे पाने के मामले में भी उसकी खासी किरकिरी हुई थी। भाजपा इसके लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराती रही है, लेकिन इन चुनावों में उसे जनता के इन सवालों का भी जवाब देना पड़ रहा है।
गरीब मतदाताओं के बीच दिल्ली सरकार की मुफ्त बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं की लोकप्रियता अभी भी है, लिहाजा उसके लिए सबसे ज्यादा चुनौती करीब 50 झुग्गी-झोपड़ी बहुल वाली सीटों पर मिलने की संभावना है। इन इलाकों में रहने वाले गरीब लोगों के लिए हर महीने बिजली के बिल में 200 यूनिट की छूट, महिलाओं के लिए परिवहन किराये में छूट और विभिन्न योजनाओं में मिल रही आर्थिक सहायता बड़ी आर्थिक मदद होते हैं। यही कारण है कि 2015 के विधानसभा चुनाव से ही इन इलाकों में आम आदमी पार्टी का कब्जा हो गया है। राजधानी की दो दर्जन से ज्यादा मुस्लिम बहुल सीटों पर भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का दावा है। केंद्र सरकार के द्वारा झुग्गी-झोपड़ी वालों को दी गई मकान योजना इस वोट बैंक को केजरीवाल से कितना तोड़ पाती है, इसी मुद्दे पर यहां निर्णय होना है।
इन इलाकों में बेहतर उम्मीद
भाजपा के लिए उच्च और मध्यम स्तर के रिहायशी इलाकों में जीत की बेहतर संभावनाएं हैं। पूर्वी दिल्ली में निर्माण विहार, प्रीत विहार, सूरजमल विहार, झिलमिल और शाहदरा भाजपा की चुनावी भविष्य की दृष्टि से बेहतर क्षेत्र माने जाते हैं। पश्चिमी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली के पॉश इलाकों में भी भाजपा की पकड़ बेहतर मानी जाती है। यूपी-बिहार के प्रवासी श्रमिकों के बीच भी भाजपा की मजबूत पकड़ है, यही कारण है कि वह सोनिया विहार, भजनपुरा, आनंद पर्वत, लक्ष्मी नगर, पांडव नगर, सरोजनी नगर, बुराड़ी और संत नगर में काफी मजबूत है।
भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों ने जनता के बीच उसकी ‘असलियत’ उजागर कर दिया है। इससे उसे उन मतदाताओं का साथ नहीं मिलेगा, जिन्होंने एक नई राजनीति की उम्मीद में उसका साथ देना शुरू कर दिया था। विशेषकर शराब घोटाले में जिस तरह से सरकार का कमीशन दो फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया और कथित तौर पर इसमें से अपने लिए कमाई का साधन तैयार किया गया, अरविंद केजरीवाल की छवि धूमिल हुई है।
दिल्ली भाजपा नेता सारिका जैन ने अमर उजाला से कहा कि कोई भी परिवार यह नहीं चाहेगा कि उसके घर के बगल में शराब का ठेका हो। इससे उसके घर की महिलाओं की सुरक्षा और बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ जाता है। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने यही करने का काम किया। इससे लोगों में उनके प्रति अविश्वास बढ़ा है और इन ठेकों को बंद कराने के कारण भाजपा को इसका लाभ मिलेगा।
2025 के विधानसभा चुनावों पर नजर
भाजपा नेता जानते हैं कि यदि नगर निगम चुनाव में उन्हें कामयाबी मिलती है, तो यह उनके लिए 2025 के विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता मिलने का दरवाजा खोल सकती है। वे इसे दिल्ली की जनता के बीच अरविंद केजरीवाल के खत्म होते विश्वास के रूप में भी प्रचारित कर सकेंगे, लेकिन यदि उसे हार का सामना करना पड़ा, तो आम आदमी पार्टी यह प्रचारित करने से पीछे नहीं हटेगी कि उसके नेताओं को फंसाने की कोशिश के बाद भी दिल्ली की जनता का उस पर विश्वास बना हुआ है। केजरीवाल इसे आम आदमी पार्टी नेताओं पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर जनता के ‘विश्वास के प्रमाण पत्र ‘के तौर पेश करने से नहीं चूकेंगे, लिहाजा अंतिम क्षणों में भी भाजपा नेता अपना पूरा जोर लगा रहे हैं।
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दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi MCD Election 2022) के लिए शुक्रवार शाम पांच बजे चुनाव प्रचार का शोर थम गया। रविवार चार दिसंबर को दिल्ली नगर निगम के लिए मतदान होगा। सात दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के साथ ही पता चल पाएगा कि दिल्ली वालों ने शहर की मूल व्यवस्था को ठीक रखने के लिए किस दल पर भरोसा जताया है। नगर निगम चुनाव में जीत किसी भी दल को मिले, लेकिन इन चुनावों के लंबे दूरगामी असर को ध्यान में रखते हुए भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, तीनों ने अपना पूरा दमखम लगा दिया है।
भाजपा ने नगर निगम चुनावों में जीत का चौका लगाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों और अनुराग ठाकुर, पीयूष गोयल, हरदीप सिंह पुरी जैसे दर्जनों केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार में झोंक कर यह बता दिया है कि उसके लिए नगर निगम का चुनाव किसी भी दृष्टि से कमतर नहीं है। हालांकि, इस बार भाजपा के शीर्ष नेता अमित शाह और बड़े स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ भाजपा के चुनावी अभियान से दूर रहे। योगी आदित्यनाथ का चुनाव प्रचार से दूर होना पार्टी के लिए अच्छा नहीं कहा जा रहा है क्योंकि माना जाता है कि पिछले नगर निगम चुनाव में उन्होंने ही अपने आक्रामक चुनाव प्रचार से दिल्ली की चुनावी हवा बदलकर रख दी थी और भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने में सफल रही थी।
जीत के लिए किस पर भरोसा?
भाजपा को नगर निगम में जीत के लिए अपने काम से ज्यादा पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के करिश्मे पर भरोसा है। पार्टी को लगता है कि केंद्र सरकार के द्वारा गरीबों को प्रतिमाह दिए जा रहे राशन, कोरोना काल में लोगों की गई मदद, किसानों-महिलाओं को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से दी गई आर्थिक सहायता और पीएम मोदी द्वारा दिल्ली के 3024 झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब परिवारों को दिया गया मकान उसे जीत दिलाने में कारगर होगा। पार्टी ने घोषणा कर रखी है कि यदि वह सत्ता में आएगी, तो हर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवार को पक्का मकान देगी। चूंकि, उसने 3024 गरीब परिवारों को मकान दे भी दिया है, यह दांव उसे गरीब लोगों के बीच लोकप्रिय बना रहा है। भाजपा ने एक झुग्गी वाले को अपना पार्षद उम्मीदवार बनाकर भी गरीबों के करीब पहुंचने की कोशिश की है।
ये है चुनौतियां
लेकिन भाजपा को नगर निगम में कथित तौर पर व्याप्त भ्रष्टाचार की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। शहर में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था न हो पाना उसके लिए बड़ी नाकामी साबित हुए हैं। सफाई कर्मचारियों को वेतन न दे पाने के मामले में भी उसकी खासी किरकिरी हुई थी। भाजपा इसके लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराती रही है, लेकिन इन चुनावों में उसे जनता के इन सवालों का भी जवाब देना पड़ रहा है।
गरीब मतदाताओं के बीच दिल्ली सरकार की मुफ्त बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं की लोकप्रियता अभी भी है, लिहाजा उसके लिए सबसे ज्यादा चुनौती करीब 50 झुग्गी-झोपड़ी बहुल वाली सीटों पर मिलने की संभावना है। इन इलाकों में रहने वाले गरीब लोगों के लिए हर महीने बिजली के बिल में 200 यूनिट की छूट, महिलाओं के लिए परिवहन किराये में छूट और विभिन्न योजनाओं में मिल रही आर्थिक सहायता बड़ी आर्थिक मदद होते हैं। यही कारण है कि 2015 के विधानसभा चुनाव से ही इन इलाकों में आम आदमी पार्टी का कब्जा हो गया है। राजधानी की दो दर्जन से ज्यादा मुस्लिम बहुल सीटों पर भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का दावा है। केंद्र सरकार के द्वारा झुग्गी-झोपड़ी वालों को दी गई मकान योजना इस वोट बैंक को केजरीवाल से कितना तोड़ पाती है, इसी मुद्दे पर यहां निर्णय होना है।