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Mp Dhairyasheel Mane Appointed Chief Of Maharashtra-karnataka Border Dispute Expert Committee – महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद: सांसद माने को विशेषज्ञ समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया, सीएम शिंदे ने दी बधाई

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सांसद धैर्यशील माने।
– फोटो : Facebook

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सांसद धैर्यशील माने को महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका के संबंध में महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को दक्षिणी महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के हातकणंगले से पहली बार सांसद बने माने को नियुक्ति के लिए बधाई दी।

विज्ञप्ति के मुताबिक, विशेषज्ञ समिति के सदस्यों में विशेष समन्वयक के रूप में अधिवक्ता राम आप्टे, दिनेश औलकर और डॉ आर.वी. पाटिल शामिल हैं। राज्य के कानून एवं न्याय विभाग के प्रधान सचिव को भी समन्वयक के रूप में शामिल किया गया है। वहीं, सीमा विवाद के मामले को देखने वाले विभाग के सचिव को सदस्य सचिव के तौर पर समिति में शामिल किया गया है।

यह विवाद हाल ही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के कुछ बयानों के कारण फिर से शुरू हो गया, जो बेलगाम और दक्षिणी राज्य के कुछ अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों पर महाराष्ट्र के दावे से संबंधित है, जिसमें मराठी भाषा बोलने वाली आबादी का बड़ा हिस्सा है।

गौरतलब है कि भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद सीमा विवाद 1960 के दशक से चल रहा है। महाराष्ट्र तत्कालीन ‘बॉम्बे प्रेसीडेंसी’ का हिस्सा रहे बेलगावी पर दावा करता है क्योंकि यहां मराठी भाषा बोलने वालों की अच्छी खासी आबादी है। महाराष्ट्र ने 80 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं।

विस्तार

सांसद धैर्यशील माने को महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका के संबंध में महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को दक्षिणी महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के हातकणंगले से पहली बार सांसद बने माने को नियुक्ति के लिए बधाई दी।

विज्ञप्ति के मुताबिक, विशेषज्ञ समिति के सदस्यों में विशेष समन्वयक के रूप में अधिवक्ता राम आप्टे, दिनेश औलकर और डॉ आर.वी. पाटिल शामिल हैं। राज्य के कानून एवं न्याय विभाग के प्रधान सचिव को भी समन्वयक के रूप में शामिल किया गया है। वहीं, सीमा विवाद के मामले को देखने वाले विभाग के सचिव को सदस्य सचिव के तौर पर समिति में शामिल किया गया है।

यह विवाद हाल ही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के कुछ बयानों के कारण फिर से शुरू हो गया, जो बेलगाम और दक्षिणी राज्य के कुछ अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों पर महाराष्ट्र के दावे से संबंधित है, जिसमें मराठी भाषा बोलने वाली आबादी का बड़ा हिस्सा है।

गौरतलब है कि भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद सीमा विवाद 1960 के दशक से चल रहा है। महाराष्ट्र तत्कालीन ‘बॉम्बे प्रेसीडेंसी’ का हिस्सा रहे बेलगावी पर दावा करता है क्योंकि यहां मराठी भाषा बोलने वालों की अच्छी खासी आबादी है। महाराष्ट्र ने 80 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं।



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