Rajasthan:राजस्थान में ‘रिवाज बदलेगा’ को लेकर कांग्रेस का दांव, तैयारियों के लिए दिल्ली से मिल रहे निर्देश – Elections 2023 Congress Ashok Gehlot Bets On Rajasthan Getting Instructions From Delhi For Preparations

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
– फोटो : अमर उजाला
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अगले कुछ महीनों के भीतर ही राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। अब सवाल यही है कि क्या राजस्थान में भी हर पांच साल पर बदलने वाली सरकार का “रिवाज बदलेगा” या “रिवाज कायम रहेगा”। इसको लेकर राजनीतिक दलों ने अपने अपने तरीके से सियासी दांवपेच चलने शुरू कर दिए हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार बदलने वाले रिवाज को बदलने के लिहाज से ऐसा सियासी दांव चला है जिसको कि मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है। सात जिलों को बनाने की तैयारियों के बीच गहलोत ने 19 जिले बनाने का दांव चलकर सियासी हवाओं को एक अलग ही दिशा दे दी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गहलोत सरकार की ओर से जिले बनाने से ना सिर्फ स्थानीय लोगों को साधने की कोशिश की है, बल्कि जातिगत समीकरणों के लिहाज से भी बड़ा दांव चला है। भारतीय जनता पार्टी ने इसको सियासी दांव ही माना है।
इस साल कई राज्यों में विधानधान सभा के चुनाव होने हैं। राजस्थान उनमें प्रमुख राज्य है। राजनीतिक विश्लेषकों हरिओम शर्मा का कहना है कि बीते चार चुनावों से इस प्रदेश में सरकार हर पांचवें साल रिपीट ना होने का चलन हो गया है। ऐसे में अगर उस रिवाज की बात की जाए तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट होती नहीं दिख रही है। इसी बदले रिवाज को लेकर कांग्रेस ने सियासी दांव चलकर राजस्थान में माहौल बदलने की कोशिश शुरू कर दी है। शर्मा कहते हैं जिस तरीके से राजस्थान में 19 जिले नए बना दिए गए वह सियासी रूप से कांग्रेस के लिए बहुत फायदेमंद नजर आ रहा है। उसके पीछे उनका तर्क यह है कि नए जिले बनाने से स्थानीय लोगों की बहुत सी जरूरतें और समस्याओं का समाधान होगा। खासतौर से उन जिलों के लोगों को ज्यादा सहूलियत होगी जो कि 100 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करके अपने जिला मुख्यालय पहुंचते थे। शर्मा का मानना है कि अशोक गहलोत ने राज्य के बजट के जारी होने के बाद तीसरी बार इस तरीके की बड़ी घोषणा करके सियासी हलचल पैदा की है।
राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक साथ 19 जिले बनाए गए। राजस्थान के राजनीतिक विश्लेषक आरएन मीना कहते हैं कि जिस तरह से अशोक गहलोत ने 7 जिलों की जगह पर 19 जिले और तीन नए संभाग बनाए हैं वह सियासी नजरिए से उनकी गणित में फिट बैठ रहे हैं। उनका कहना है कि राजस्थान के जिन 19 जिलों को बनाने के साथ इलाकों की जातिगत समीकरणों को साधा गया है वह किसी भी राजनीतिक दल के लिए चुनावी सीजन में मुनाफे का सौदा हो सकता है। वह उदाहरण के तौर पर कहते हैं कि राजस्थान में नए जिले बने कोटपूतली में न सिर्फ जातिगत समीकरण सधेंगे बल्कि लोगों को सवा सौ किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय जयपुर पहुंचने की जद्दोहद से भी बचाया जा सकेगा। वह कहते हैं कि इसके अलावा ऐसा करके नए बनाए गए जिलों के जातिगत समीकरणों को साधने वाले नेताओं को मजबूत कर चुनाव में अपनी पकड़ बनाने का भी अशोक गहलोत ने मास्टर स्ट्रोक वाला दांव चला है।
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