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Rampur By Election: How Did Bjp Defeat Azam Khan-akhilesh Yadav, Jayant Chaudhary And Chandrashekhar Azad – Rampur By Election: रामपुर में आजम-अखिलेश, जयंत-आजाद की जोड़ी को भाजपा ने कैसे हराया? तीन बिंदुओं में समझें

गुजरात-हिमाचल के साथ-साथ पांच राज्यों की छह विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी आ गए हैं। इसमें रामपुर विधानसभा सीट के नतीजे ने सबको चौंका दिया है। पहली बार रामपुर से भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है। इसी के साथ समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान का किला ध्वस्त हो गया। 

सपा की हार के बाद सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर भाजपा ने ये कमाल कैसे कर दिखाया? भाजपा की इस जीत में कौन-कौन से फैक्टर काम कर गए? आजम खान को मात देने के लिए भाजपा की क्या रणनीति थी? आइए समझते हैं…

 

पहले जानिए रामपुर के नतीजे क्या रहे? 

रामपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा के आकाश सक्सेना ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आसिम राजा को 34,136 वोटों से शिकस्त दी। उपचुनाव में तीन लाख 87 हजार 528 मतदाताओं में से एक लाख 31 हजार 515 ने वोट डाला था। इसके चलते इस बार रामपुर का वोट प्रतिशत 33.94 फीसदी पर सिमट गया था, जो रामपुर के चुनावी इतिहास में सबसे कम मत औसत है।

गुरुवार सुबह आठ बजे वोटों की गिनती शुरू हुई। पहले 20 राउंड की गिनती में सपा के प्रत्याशी आसिम राजा बढ़त बनाए रहे लेकिन 21वें राउंड से तस्वीर बदलने लगी। इसके बाद हर राउंड में आकाश के वोटों का आंकड़ा बढ़ता गया। 28वें राउंड के बाद सपा प्रत्याशी आसिम राजा मतगणना स्थल से चले गए। 33वें राउंड की गिनती के बाद 34,136 वोटों से आकाश सक्सेना को विजेता घोषित किया गया।

आकाश सक्सेना को 81,432 वोट मिले। सपा के आसिम राजा के खाते में 47,296 वोट आए। 726 वोट लेकर नोटा ने तीसरे स्थान पर जगह बनाई। इस चुनाव में भाजपा से आकाश सक्सेना, सपा से आसिम राजा समेत कुल 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे।

 

आजम का गढ़, खुद दस बार विधायक रहे

रामपुर विधानसभा सीट पर अब तक 18 बार चुनाव और दो बार उपचुनाव हुए हैं। यह उपचुनाव रामपुर सीट का 20वां चुनाव था। इन चुनावों में 10 बार आजम खां ने और एक उपचुनाव में उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा ने जीत हासिल की है। वर्ष 2002 के बाद यह पहला मौका था जब इस सीट पर चुनाव में आजम खां या उनके परिवार से कोई उम्मीदवार नहीं था। अदालत से सजा के बाद चुनाव लड़ने और वोट डालने पर पाबंदी के नियम के चलते आजम खां के करीबी आसिम राजा को सपा का उम्मीदवार बनाया गया था।

इस सीट पर आजम खां ने 1980 से 1993 तक लगातार पांच बार चुनाव जीते। 1996 के विधानसभा चुनाव में आजम खां को दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले 1977 के अपने पहले चुनाव में भी उन्हें हार मिली थी। वर्ष 2002 से 2022 के पांच विधानसभा चुनावों में आजम खां ने फिर लगातार पांच बार जीत हासिल की थी।

2019 में आजम खां रामपुर लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। इसके बाद उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा ने जीत हासिल की थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में जेल रहते हुए आजम खां ने चुनाव लड़ा था और लगभग 55 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में उनके मुकाबले पर भाजपा से आकाश सक्सेना थे।

 

फिर कैसे भाजपा ने मारी बाजी? 

इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने तीन बिंदुओं में इसे समझाया।

1. दलित, लोधी, वैश्य वोटर्स ने एकजुट होकर भाजपा को वोट दिया: रामपुर में मुस्लिम वोटर्स करीब 80 हजार हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर वैश्य 35 हजार आते हैं। इनके अलावा लोधी 35 हजार, एससी 15 हजार और यादव 10 हजार वोटर्स हैं। इनके अलावा दलित वोटरों की संख्या भी काफी ज्यादा है। सपा ने ये सीट जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। सारे समीकरण बैठाए, ताकि यहां से जीत मिले। यही कारण है कि पुरानी नाराजगी दूर करके भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद तक को साथ ले आए। दलित वोटर्स को साथ करने के लिए आजाद ने खूब प्रचार भी किया, लेकिन ये काम नहीं कर पाया। चुनाव में एक तरफ जहां, सपा के वोटर्स नहीं निकले। वहीं, दूसरी तरफ दलित, लोधी और वैश्य वोटर्स एकजुट होकर भाजपा के पक्ष में चले गए।

 

2. नाराज मुस्लिमों ने दिया भाजपा का साथ : रामपुर में आजम खान और उनके परिवार से नाराज मुस्लिम वोटर्स ने भी भाजपा का साथ दे दिया। आजम खान पर तमाम तरह के आरोप लगाने वाले कई मुस्लिम भी हैं। 

 




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