Signs Of Change In Delhi Bjp After Defeat In Mcd Central Leadership Can Make Major Changes In Organization – Delhi: Mcd में शिकस्त के बाद भाजपा में बदलाव की बयार तेज, संगठन में बड़ा बदलाव कर सकता है केंद्रीय नेतृत्व
delhi bjp president adesh gupta – फोटो : @BJP4India
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एमसीडी की सत्ता हारने से प्रदेश भाजपा में बदलाव की बयार की चल पड़ी है। आपसी गुटबाजी और एक दूसरे को कमतर दिखाना भी पार्टी के लिए महंगा साबित हुआ है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने एमसीडी चुनाव के पहले प्रदेश कार्यालय से दूरी बना ली थी। ऐसे में सूत्रों की मानें तो जल्द ही केंद्रीय नेतृत्व संगठन में बड़ा बदलाव कर सकता है।
भाजपा में हार की समीक्षा तेज हो गई है। पार्टी की अवधारणा यही है कि जिस दिन चुनाव खत्म हो उसी दिन से अगले चुनाव की तैयारी शुरू हो जानी चाहिए। इसे देखते हुए संगठन में बदलाव की मांग भी चल रही है। विधानसभा चुनाव को लेकर बड़े फेरबदल की उम्मीद भाजपा नेता भी लगाए हुए है। दरअसल, उनकी राय है कि दिल्ली भाजपा को एक ऐसा चेहरा मिलना चाहिए जो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कद का हो।
एमसीडी चुनाव में हार की वजह भी यही बताई जा रही है कि आप ने केजरीवाल के चेहरे पर पूरा चुनाव लड़ा। गुजरात विधानसभा चुनाव के बावजूद केजरीवाल दिल्ली में भी डेरा डाले हुए थे। वहीं, प्रदेश भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों व अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री को प्रचार में उतारा था, लेकिन दिल्ली भाजपा के पास ऐसा चेहरा नहीं था जिसके नाम पर दिल्ली वाले भाजपा को वोट कर सके।
निगम का चुनाव होने की वजह से प्रधानमंत्री को भी पार्टी ने खुलकर चेहरा नहीं बनाया। हालांकि, जहां झुग्गी वहीं मकान के तहत झुग्गी वालों को फ्लैट की चाबी जरूर दी गई। बदलाव के बयार के बीच नया चेहरा कौन होगा इस पर भी सियासी गुणा भाग तेज है, जो संकेत मिल रहे हैं उसके हिसाब से केंद्रीय नेतृत्व किसी बड़े नाम और संगठन को मजबूती देने वाले नेता की तलाश में है।
इस दौड़ में जहां पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर को शामिल किया जा रहा है तो वहीं, जम्मू कश्मीर के सह प्रभारी आशीष सूद का नाम भी सामने आ रहा है। इसके अलावा सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, रमेश बिधूड़ी के नाम पर भी चर्चा है। प्रदेश के महामंत्री, उपाध्यक्ष भी इस दौड़ में पीछे नहीं हैं। बदलाव के बाद प्रदेश पदाधिकारियों को संगठन मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, क्योंकि अब पार्टी की की नजरें आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर है।
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एमसीडी की सत्ता हारने से प्रदेश भाजपा में बदलाव की बयार की चल पड़ी है। आपसी गुटबाजी और एक दूसरे को कमतर दिखाना भी पार्टी के लिए महंगा साबित हुआ है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने एमसीडी चुनाव के पहले प्रदेश कार्यालय से दूरी बना ली थी। ऐसे में सूत्रों की मानें तो जल्द ही केंद्रीय नेतृत्व संगठन में बड़ा बदलाव कर सकता है।