Editor’s Pick

Supreme Court Hear Bilkis Bano Petition On December 13 – Supreme Court: बिलकिस बानो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 13 दिसंबर को करेगा सुनवाई

बिलकिस बानो
– फोटो : सोशल मीडिया

ख़बर सुनें

सुप्रीम कोर्ट बिलकिस बानो की याचिका पर 13 दिसंबर को सुनवाई करेगा। बिलकिस बानो ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उसके साथ हुए गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ बानो की याचिका पर विचार कर सकती है। 15 अगस्त को दोषियों की रिहाई के खिलाफ अपनी याचिका में बानो ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित कानून की आवश्यकता को पूरी तरह अनदेखा करते हुए आदेश पारित किया है। बिलकिस ने याचिका में कहा कि घटना की पीड़ित होने के बावजूद उन्हें दोषियों की समय पूर्व रिहाई या माफी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। गुजरात सरकार की माफी का आदेश निर्धारित कानूनों का पूरी तरह उल्लंघन है। 

इससे पहले कुछ जनहित याचिकाएं दायर कर घटना के 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। ये याचिकाएं नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन, माकपा सदस्य सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल, सामाजिक कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा और तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने दायर की थीं। गुजरात सरकार ने यह कहते हुए दोषियों की रिहाई और माफी का बचाव किया था कि उन्होंने जेल में 14 साल काट लिए हैं और इस दौरान उनका व्यवहार अच्छा रहा है। सरकार ने यह भी कहा था कि उसने 1992 के माफी नीति के तहत इन 11 दोषियों की रिहाई पर फैसला लिया है। इन दोषियों की रिहाई का फैसला 10 अगस्त, 2022 को लिया गया था।
 

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट बिलकिस बानो की याचिका पर 13 दिसंबर को सुनवाई करेगा। बिलकिस बानो ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उसके साथ हुए गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ बानो की याचिका पर विचार कर सकती है। 15 अगस्त को दोषियों की रिहाई के खिलाफ अपनी याचिका में बानो ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित कानून की आवश्यकता को पूरी तरह अनदेखा करते हुए आदेश पारित किया है। बिलकिस ने याचिका में कहा कि घटना की पीड़ित होने के बावजूद उन्हें दोषियों की समय पूर्व रिहाई या माफी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। गुजरात सरकार की माफी का आदेश निर्धारित कानूनों का पूरी तरह उल्लंघन है। 

इससे पहले कुछ जनहित याचिकाएं दायर कर घटना के 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। ये याचिकाएं नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन, माकपा सदस्य सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल, सामाजिक कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा और तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने दायर की थीं। गुजरात सरकार ने यह कहते हुए दोषियों की रिहाई और माफी का बचाव किया था कि उन्होंने जेल में 14 साल काट लिए हैं और इस दौरान उनका व्यवहार अच्छा रहा है। सरकार ने यह भी कहा था कि उसने 1992 के माफी नीति के तहत इन 11 दोषियों की रिहाई पर फैसला लिया है। इन दोषियों की रिहाई का फैसला 10 अगस्त, 2022 को लिया गया था।

 




Source link

Related Articles

Back to top button