Titanic Expedition US Company Bring Back Ship Artifacts US Govt Trying To Stop

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Titanic Expedition: समुद्र में डूबे टाइटैनिक जहाज तक जाने के लिए एक अभियान शुरू किया जाने वाला है. इस अभियान को एक अमेरिकी कंपनी कर रही है. कंपनी का इरादा जहाज के मलबे से ऐतिहासिक चीजों को उठाकर लाना है. हालांकि, अमेरिका की सरकार किसी भी हालत में टाइटैनिक तक के इस सफर को होने नहीं देना चाहती है. इसके लिए कानून और अंतरराष्ट्रीय समझौतों का सहारा लिया जा रहा है.

अभियान का आयोजन अमेरिकी कंपनी आरएमएस टाइटैनिक इंक कर रही है. इस कंपनी के पास टाइटैनिक को मलबे को समुद्र से उठाकर लाने का अधिकार है. आरएमएस टाइटैनिक इंक डूब चुके जहाज से मिलने वाली चीजों की प्रदर्शनी लगाती है. सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि जून में टाइटन पनडुब्बी के समुद्र में डूबने से पांच लोगों की मौत हुई. इसके बाद भी कंपनी टाइटैनिक तक ‘मौत का सफर’ कर रही है. 

टाइटैनिक तक जाने की वजह क्या है? 

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, आरएमएस टाइटैनिक इंक का इरादा मई 2024 में टाइटैनिक तक जाने का है. कंपनी का कहना है कि वह जहाज के मलबे की तस्वीर लेना चाहती है. कंपनी का मकसद जहाज के भीतर की तस्वीरों को भी लेना का है. वह मलबे में दबी कलाकृतियों को जमीन पर वापस लाना चाहती है. सबसे ज्यादा चर्चा टाइटैनिक के मार्कोनी रूम की हो रही है. ये वही रूम है, जहां जहाज का रेडियो मौजूद है. 

मार्कोनी एक वायरलैस टेलीग्राफ मशीन था. जब जहाज अटलांटिक महासागर में डूब रहा था, तो उस वक्त मार्कोनी के जरिए ही सिग्नल भेजा गया था. मोर्स कोड में भेजे गए सिग्नल को तट पर मौजूद एक रिसीविंग स्टेशन ने डिकोड किया और तुरंत मदद के लिए जहाज भेजे. तब जाकर टाइटैनिक के लाइफ बोट में जान बचाकर भागे लोगों का रेस्क्यू हुआ था. मार्कोनी के मैसेज के चलते 700 लोगों की जान बची थी. 

आरएमएस टाइटैनिक इंक चाहती है कि वह इस मार्कोनी रूम में जाए और अगर उसे टेलीग्राफ मशीन दिखाई पड़ती है, तो उसे वापस जमीन पर लाया जाए. कंपनी ने साफ कर दिया है कि वह उन चीजों को हाथ तक नहीं लगाएगी, जो जहाज से चिपक चुकी हैं. मगर जो वहां तैर रही वस्तुएं हैं, उन्हें जरूर वापस लाया जाएगा. इस काम को पूरा करने के लिए ही टाइटैनिक तक जाने का खतरनाक सफर होगा. 

अमेरिका क्यों रोक रहा अभियान?

आरएमएस टाइटैनिक इंक को टाइटैनिक तक जाने से रोका जा रहा है. अमेरिका ने इसके पीछे तर्क दिया है कि टाइटैनिक के टूट चुके पतवार के जरिए उसके भीतर नहीं जाया जा सकता है. टाइटैनिक के भीतर जाना अमेरिकी कानून के दायरे में आता है. ब्रिटेन संग इसे लेकर समझौता हुआ है. अगर किसी को टाइटैनिक तक जाना है, तो उसे अमेरिकी सरकार की इजाजत लेनी होगी. 

अमेरिका को ये भी लगता है कि अगर कंपनी वहां तक जाती है, तो टाइटैनिक में मौजूद कलाकृतियों और मानव अवशेष को नुकसान पहुंच सकता है. इसके अलावा, जून में जिस तरह से टाइटन पनडुब्बी हादसा हुआ है, उसने भी चिंताएं बढ़ाई हुई हैं. हालांकि, यहां पूरा मामला अमेरिकी सरकार की इजाजत के बिना टाइटैनिक तक जाने का है. 

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